मुंबई: मेट्रो कार शेड के लिए आरे कॉलोनी में लोगों ने फिर किया प्रदर्शन, उद्धव ठाकरे कर चुके हैं ये मांग

आरे कॉलोनी (Aarey Colony) के जंगल को बचाने के लिए पर्यावरण प्रेमी और कार्यकर्ता एक बार फिर प्रदर्शन कर रहे हैं;

Update: 2022-07-03 09:34 GMT

महाराष्ट्र (Maharashtra) की आरे कॉलोनी (Aarey Colony) के जंगल को बचाने के लिए पर्यावरण प्रेमी और कार्यकर्ता एक बार फिर प्रदर्शन कर रहे हैं। क्योंकि एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के नेतृत्व वाली नई सरकार ने आरे में मेट्रो कारशेड नहीं बनाने के उद्धव सरकार के फैसले को पलट दिया। जिसके बाद एक बार फिर ये मुद्दा गर्म हो गया है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, गोरेगांव के आरे में मेट्रो कार शेड के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है। नवगठित महाराष्ट्र सरकार ने महाधिवक्ता को मुंबई के आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड बनाने का निर्देश दिया है। आरे मुंबई शहर के अंदर स्थित एक हरी भरी भूमि है। यहां करीब 5 लाख पेड़ हैं और यहां जानवरों और पक्षियों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं। इस जगह की हरियाली के कारण इसे मुंबई का ग्रीन लैंड कहा जाता है।

शिंदे सरकार के इस फैसले से पर्यावरण प्रेमी और कार्यकर्ता नाराज हैं और वे इसके खिलाफ नए सिरे से लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। 1,800 एकड़ में फैले इस आरे जंगल को अक्सर 'मुंबई के फेफड़े' के रूप में जाना जाता है। जहां भारी मात्रा में ऑक्सीजन है। आरे के जंगल में तेंदुओं के अलावा जानवरों की करीब 300 प्रजातियां पाई जाती हैं। यह उपनगर गोरेगांव में स्थित है और संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान से जुड़ा हुआ है।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन महा विकास अघाड़ी सरकार के प्रस्तावित मुंबई मेट्रो लाइन -3 कार शेड को आरे कॉलोनी से ट्रांसफर करने के फैसले को पलट दिया। आरे वन क्षेत्र में कार शेड स्थापित करने के निर्णय का पर्यावरण समूह विरोध कर रहा है। क्योंकि इसके तहत सैकड़ों पेड़ काटे जाएंगे।

दरअसल, इस मामले में राजनीति तब से हो रही है जब देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल में तमाम विरोधों के बावजूद आरे वन क्षेत्र में मेट्रो कार शेड बनाने का आदेश पारित किया था और इस वजह से हजारों आरे जंगल में पेड़ों की काटे गए थे। उस समय देवेंद्र फडणवीस सरकार में सहयोगी की भूमिका निभा रही शिवसेना ने भी इस फैसले का विरोध किया था, जिसको शिवसेना ने सरकार बनने के बाद जारी रखा। 

Tags:    

Similar News