जेएनयू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोले - हमारी विचारधारा राष्ट्रहित के विषयों में राष्ट्र के साथ नजर आनी चाहिए, खिलाफ नहीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जेएनयू कैंपस में लाइव हुए। इस दौरान उन्होंने स्‍वामी विवेकानंद की आदमकद मूर्ति का अनावरण किया। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाइव होते ही पूरा कैंपस जय श्री राम के नारे से गूंज उठा।;

Update: 2020-11-12 13:23 GMT

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जेएनयू कैंपस में लाइव हुए। इस दौरान उन्होंने स्‍वामी विवेकानंद की आदमकद मूर्ति का अनावरण किया। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाइव होते ही पूरा कैंपस जय श्री राम के नारे से गूंज उठा।

नरेंद्र मोदी ने कही ये बातें

1. मेरी कामना है कि JNU में लगी स्वामी जी की ये प्रतिमा, सभी को प्रेरित करे, ऊर्जा से भरे। ये प्रतिमा वो साहस दे, courage दे, जिसे स्वामी विवेकानंद प्रत्येक व्यक्ति में देखना चाहते थे। ये प्रतिमा वो करुणाभाव सिखाए, compassion सिखाए, जो स्वामी जी के दर्शन का मुख्य आधार है।

2. ये प्रतिमा देश को youth-led development के Vision के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे, जो स्वामी जी की अपेक्षा रही है। ये प्रतिमा हमें स्वामी जी के सशक्त-समृद्ध भारत के सपने को साकार करने की प्रेरणा देती रहे।

3. एक प्रतिमा नहीं है बल्कि ये उस विचार की ऊंचाई का प्रतीक है जिसके दम पर एक संन्यासी ने पूरी दुनिया को भारत का परिचय दिया। उनके पास वेदांत का अगाध ज्ञान था। उनके पास एक विजन था। वह जानते थे कि भारत दुनिया को क्या दे सकता है। वह भारत के विश्व बंधुत्व के संदेश को लेकर दुनिया में गए। भारत के विचारों, परंपराओं को उन्होंने दुनिया के सामने गौरवपूर्ण तरीके से रखा।

4. ये प्रतिमा देश को youth-led development के Vision के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे, जो स्वामी जी की अपेक्षा रही है। ये प्रतिमा हमें स्वामी जी के सशक्त-समृद्ध भारत के सपने को साकार करने की प्रेरणा देती रहे।

5. मेरी कामना है कि JNU में लगी स्वामी जी की ये प्रतिमा, सभी को प्रेरित करे, ऊर्जा से भरे। ये प्रतिमा वो साहस दे, courage दे, जिसे स्वामी विवेकानंद प्रत्येक व्यक्ति में देखना चाहते थे।ये प्रतिमा वो करुणाभाव सिखाए, compassion सिखाए, जो स्वामी जी के दर्शन का मुख्य आधार है।

6. देश का युवा दुनियाभर में Brand India का Brand Ambassador हैं। हमारे युवा भारत के Culture और Traditions का प्रतिनिधित्व करते हैं। आपसे अपेक्षा सिर्फ हज़ारों वर्षों से चली आ रही भारत की पहचान पर गर्व करने भर की ही नहीं है, बल्कि 21वीं सदी में भारत की नई पहचान गढ़ने की भी है।

7. आज देश आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य और संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। आज आत्मनिर्भर भारत का विचार 130 करोड़ से अधिक भारतीयों के Collective Consciousness का, हमारी Aspirations का हिस्सा बन चुका है।

8. आप से बेहतर ये कौन जानता है कि भारत में Reforms को लेकर क्या बातें होती थीं। क्या भारत में Good Reforms को Bad Politics नहीं माना जाता था? तो फिर Good Reforms, Good Politics कैसे हो गए? इसको लेकर आप JNU के साथी ज़रूर रिसर्च करें।

9. आज सिस्टम में जितने रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं, उऩके पीछे भारत को हर प्रकार से बेहतर बनाने का संकल्प है। आज हो रहे Reforms के साथ नीयत और निष्ठा पवित्र है। आज जो रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं, उससे पहले एक सुरक्षा कवच तैयार किया जा रहा है। इस कवच का सबसे बड़ा आधार है।

10. हमारे यहां लंबे समय तक गरीब को सिर्फ नारों में ही रखा गया। लेकिन देश के गरीब को कभी सिस्टम से जोड़ने की चेष्टा ही नहीं हुई। जो सबसे ज्यादा neglected था, वो गरीब था।जो सबसे ज्यादा unconnected था, वो गरीब था। जो सबसे ज्यादा financially excluded था, वो गरीब था।

11. अब गरीबों को अपना पक्का घर, टॉयलेट, बिजली, गैस, साफ पीने का पानी, डिजिटल बैंकिंग, सस्ती मोबाइल कनेक्टिविटी और तेज़ इंटरनेट कनेक्शन की सुविधा मिल रही है। ये गरीब के इर्द-गिर्द बुना गया वो सुरक्षा कवच है, जो उसकी आकांक्षाओं की उड़ान के लिए ज़रूरी है।

12. आज तक आपके Ideas की, Debate की, Discussion की जो भूख साबरमती ढाबा में मिटती थी, अब आपके लिए स्वामी जी की इस प्रतिमा की छत्रछाया में एक और जगह मिल गई है।

13. किसी एक बात जिसने हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाया है- वो है राष्ट्रहित से ज्यादा प्राथमिकता अपनी विचारधारा को देना। क्योंकि मेरी विचारधारा ये कहती है, इसलिए देशहित के मामलों में भी मैं इसी साँचे में सोचूंगा, इसी दायरे में काम करूंगा, ये गलत है।

14. आज हर कोई अपनी विचारधारा पर गर्व करता है। ये स्वाभाविक भी है। लेकिन फिर भी, हमारी विचारधारा राष्ट्रहित के विषयों में, राष्ट्र के साथ नजर आनी चाहिए, राष्ट्र के खिलाफ नहीं।

15. आप देश के इतिहास में देखिए, जब-जब देश के सामने कोई कठिन समय आया है, हर विचार हर विचारधारा के लोग राष्ट्रहित में एक साथ आए हैं। आज़ादी की लड़ाई में महात्मा गांधी के नेतृत्व में हर विचारधारा के लोग एक साथ आए थे। उन्होंने देश के लिए एक साथ संघर्ष किया था।

16. Emergency के दौरान भी देश ने यही एकजुटता देखी थी। Emergency के खिलाफ उस आंदोलन में काँग्रेस के पूर्व नेता और कार्यकर्ता भी थे। आरएसएस के स्वयंसेवक और जनसंघ के लोग भी थे।समाजवादी लोग भी थे। कम्यूनिस्ट भी थे।

17. इस एकजुटता में, इस लड़ाई में भी किसी को अपनी विचारधारा से समझौता नहीं करना पड़ा था। बस उद्देश्य एक ही था- राष्ट्रहित। इसलिए साथियों, जब राष्ट्र की एकता अखंडता और राष्ट्रहित का प्रश्न हो तो अपनी विचारधारा के बोझ तले दबकर फैसला लेने से, देश का नुकसान ही होता है।

18. Idea sharing को, नए विचारों के प्रवाह को अविरल बनाए रखना है। हमारा देश वो भूमि है जहां अलग-अलग बौद्धिक विचारों के बीज अंकुरित होते रहे हैं और फलते फूलते भी हैं।इस परंपरा को मजबूत करना युवाओं के लिए आवश्यक है। इसी परंपरा के कारण भारत दुनिया का सबसे vibrant लोकतन्त्र है।

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