National Panchayati Raj Day: जानें कब और कैसे हुई राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस की शुरुआत, क्या है उद्देश्य

राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस भारत में पंचायती राज प्रणाली का राष्ट्रीय दिवस है, जो 24 अप्रैल को पंचायती राज मंत्रालय द्वारा हर साल मनाया जाता है।;

Update: 2022-04-24 10:34 GMT

Panchayati Raj Day 2022: आज राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस (National Panchayati Raj Day) है। कहा जाता है कि भारत का दिल उसके गांवों में बसता है। भारत में करीब 6 लाख से ज्यादा गांव हैं। जो 6 हजार से अधिक ब्लॉक और 750 से अधिक जिलों में बंटा हुआ है। पंचायती राज यानी स्वशासन और यह व्यवस्था शासन के विकेंद्रीकरण के तहत की गई है। भारत हर साल 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाता है। पंचायती राज व्यवस्था कोई नई व्यवस्था नहीं है। यह एक महान व्यवस्था है, जो प्राचीन काल से चली आ रही है।

भारत में पंचायत दिवस कब मनाया गया

राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस भारत में पंचायती राज प्रणाली का राष्ट्रीय दिवस है, जो 24 अप्रैल को पंचायती राज मंत्रालय द्वारा हर साल मनाया जाता है। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 24 अप्रैल 2010 को पहला राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस का ऐलान किया था।

कब मनाया गया पहला पंचायती राज दिवस

पहला राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस भारत में सबसे पहले साल 2010 में मनाया गया था। तब से भारत में हर साल 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाया जाता है।

क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस

पंचायती राज यानी स्वशासन और यह व्यवस्था शासन के विकेंद्रीकरण के तहत की गई है। पंचायती राज संस्था को भारत के सबसे पुराने निकायों में से एक माना जाता है। सत्ता के विकेंद्रीकरण के ऐतिहासिक क्षण को मनाने के लिए भारत हर साल 24 अप्रैल को इस दिवस को मनाता है।

पंचायती राज अधिनियम क्या है?

बता दें कि पंचायती राज व्यवस्था को संविधान के 73वें संशोधन द्वारा साल 1993 में संवैधानिक मान्यता दी गई थी। जिसका उद्देश्य देश की लगभग 2.5 लाख पंचायतों को अधिक अधिकार देकर उन्हें सशक्त बनाना और ग्राम पंचायतें स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार योजनाएं बनाकर उन्हें लागू करें। ताकि गांव का विकास हो।

पंचायत शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। एक 'पंच' और दूसरा 'आयत'। पंच का अर्थ होता है पांच और आयत का अर्थ है सभा। पंचायत को पांच सदस्यों की सभा कहा जाता है, जो स्थानीय समुदायों के विकास और उत्थान के लिए काम किया करते थे, जो आज भी जारी है। लॉर्ड रिपन को भारत में स्थानीय स्वशासन का जनक माना जाता है। रिपन ने 1882 में स्थानीय संस्थाओं को अपना लोकतांत्रिक ढांचा दिया। यदि देश के किसी भी गांव की स्थिति खराब है तो ग्राम पंचायत उस गांव को मजबूत और विकसित करने के लिए उचित कदम उठाती है। 

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