निर्भया गैंगरेप केस: पब्लिक प्रोसेक्यूटर तुषार मेहता का बयान, कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहे हैं अपराधी

निर्भया रेप केस: तुषार मेहता ने कहा कि यह केस घृणित अपराधों की श्रेणी में इतिहास का एक ऐसा केस बन जाएगा जिसमें अपराधियों ने कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग किया।;

Update: 2020-02-01 13:47 GMT

निर्भया रेप केस: निर्भया केस में हर रोज नए-नए मोड़ आ रहे हैं। सजा मिलने से पहले ही कोई न कोई कारण देकर फांसी की सजा को टाला जा रहा है। इससे देशभर में लोगों के मन में कानूनी व्यवस्था को लेकर गुस्सा पनप रहा है। यह स्पष्ट दिख रहा है कि ये दोषी कानूनी व्यवस्था के साथ मजाक कर रहे हैं लेकिन देश की शीर्ष अदालतें अभी भी इन अपराधियों के हाथों की कठपुतली बनी हुई है। इसी गुस्से के साथ प्रधान पब्लिक प्रोसेक्यूटर तुषार मेहता ने कहा है कि रेप के मामले के ये चार दोषी कानून की प्रक्रिया को मजाक समझ रहे हैं। वो सब मिलकर ऐसा अभिनय कर रहे हैं जिससे इस घृणित अपराध में किसी तरह वह सजा से बच जाएं। उन्होंने कहा कि कल मौत की सजा को रुकवाने के लिए जो एप्लिकेशन फाईल किया गया उसमें ऐसा कोई कारण नहीं था जिसकी न्यायिक जांच की जाए। यह केस घृणित अपराधों की श्रेणी में इतिहास का एक ऐसा केस बन जाएगा जिसमें अपराधियों ने कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग किया। 

क्या है मामला

बता दें कि दोषी विनय ने फांसी पर रोक लगाने की मांग की थी। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में गुरुवार को दोषी विनय की ओर से दाखिल याचिका में राष्ट्रपति के पास दया याचिका लंबित होने के आधार पर फांसी पर रोक लगाने की अपील की गई थी। वहीं, दोषी पवन की ओर से नाबालिग होने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पवन की इस याचिका को खारिज कर दिया था। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने अगले आदेश तक इन दोषियों के डेथ वारंट पर रोक लगा दी है। पटियाला हाउस कोर्ट ने फांसी टालने के लिए नियम 836 का हवाला दिया। नियम यह कहता है कि यदि दया याचिका लंबित है तो दोषी को फांसी नहीं दी जा सकती है।

दोषी अक्षय ने भी दाखिल की याचिका

अब दोषी अक्षय सिंह ठाकुर ने शनिवार को राष्ट्रपति के पास अपनी दया याचिका दाखिल की है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील वृंदा ग्रोवर ने बताया कि जेल के नियम के मुताबिक दोषियों को फांसी अलग-अलग नहीं दी जा सकती है। नियम के हिसाब से भी किसी भी एक मामले में दोषियों को अलग-अलग फांसी नहीं दी सकती, जब तक कि सभी दोषियों की सभी याचिकाओं का निपटारा न हो जाए।

लंबी खींच सकती है सजा

मुकेश सिंह और विनय शर्मा के पास क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका के विकल्प खत्म हो चुके हैं। वहीं अक्षय सिंह ठाकुर की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज हो चुकी है। जिसके बाद उसने राष्ट्रपति के पास अपनी दया याचिका दाखिल की है। जबकि पवन गुप्ता के पास दोनों विकल्प क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका मौजूद है। ऐसे में फांसी को टालने के लिए दोनों विकल्पों का इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर ऐसे में दोषी पवन भी क्यूरेटिव पिटीशन को दाखिल करता है तो फांसी पर अटकलें बढ़ सकती है। इससे फांसी मिलने में और लंबा समय खींच सकता है।

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