असम में NRC की सूची जारी होने के बाद दूसरे राज्यों में बवाल, अब यहां पर भी लागू करने की मांग
बीते शनिवार को उत्तर-पूर्वी राज्य असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की अंतिम सूची होने के बाद 19 लाख लोगों को बाहर कर दिया गया है। जिसके बाद देश में बवाल मचा हुआ है। इस सूची में सरकार ने 3.11 करोड़ लोगों को शामिल किया है। जिसके बाद कई राज्यों ने एनआरसी लागू करने की मांग की है।;
उत्तर-पूर्वी राज्य असम में बीते शनिवार को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की अंतिम सूची जारी हो गई है। इस सूची में सरकार ने 3.11 करोड़ लोगों को शामिल किया है। जबकि 19 लाख लोगों को शामिल नहीं किया है।
एनआरसी (NRC) की अंतिम सूची जारी होने के बाद दूसरे राज्य भी इसे लागू करने की मांग कर रहे हैं। असम भाजपा समेत देश में राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है। विभिन्न राज्यों में नेताओं से लेकर लोग एनआरसी लागू करने की मांग कर रहे हैं। ताकि बाहर से आकर रह रहे लोगों को उनके देश वापस भेजा जा सके।
दिल्ली ने की मांग
एनआरसी की सूचि जारी होने के बाद दिल्ली दिल्ली भाजपा प्रमुख मनोज तिवारी ने भी प्रदेश के लिए एनआरसी की मांग की है। उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि वह इसके लिए जल्द ही केंद्रीय गृह मंत्री से मिलेंगे। बांग्लादेशी और रोहिंग्या सहित अवैध प्रवासियों की दिल्ली में भारी संख्या है।
NRC needed in Delhi as situation becoming dangerous- Shri @ManojTiwariMPhttps://t.co/Bsn12MOZEz
— BJP Delhi (@BJP4Delhi) August 31, 2019
पंजाब में उठी मांग
असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की अंतिम सूचि जारी होने के बाद दिल्ली के बाद दूसरे राज्यों में भी एनआरसी की मांग उठी है। पंजाब भाजपा के नेता विनीत जोशी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि राज्य में एनआरसी लागू होना चाहिए।
उत्तर प्रदेश में उठी मांग
दिल्ली पंजाब के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी एनआरसी लागू करने की मांग की गई है। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठियों औ रोहिंग्या असम के शहरों और मदरसों समेत देश के कई हिस्सों में घुस चुके हैं। उनके अलावा यूपी सरकार ने मंत्री रामनरेश अग्निहोत्री ने भी प्रदेश में एनआरसी लागू करने की मांग की है।
एनआरसी क्या है
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) सूचित करता है कि वो नगरिक जो असम में रह रहा है वो भारत का ही है। 1971 से पहले भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ स्वतंत्रता की घोषणा करने से पहले असम आए थे। 1971 से रह रहे लोगों इस सूची में रखा गया है। राज्य ने लंबे समय से विदेशी समस्या का सामना किया है, अवैध प्रवासियों को हटाने के लिए एनआरसी हो रही है।
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