जानें NPR के लिए क्या देनी होगी जानकारी, NRC से क्या है इसका संबंध
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को मोदी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर प्रक्रिया के दौरान कोई दस्तावेज या बॉयोमीट्रिक्स नहीं लिया जाएगा।;
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर 2021 को अपडेट करने के लिए मोदी कैबिनेट ने हरी झंडी दिखा दी है। अब देश की जनसंख्या की जनगणना होगी। जो हर 10 साल में होती है। एनपीआर के संबंध में मंगलवार को मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी।
प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि आगामी एनपीआर यूपीए सरकार द्वारा 2010 में किए गए से अपडेट से अलग नहीं है। फरवरी 2021 से शुरू होने वाली जनगणना से पहले अप्रैल और सितंबर 2020 के बीच एनपीआर को अपडेट किया जाएगा। इसको लेकर सरकार ने एनपीआर और जनगणना के लिए 13 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी।
जानकारी के लिए बता दें कि जनगणना के लिए 8 हजार 754 करोड़ रुपये और एनपीआर के लिए 3 हजार 941 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। सभी राज्य पहले ही एनपीआर करना स्वीकार कर चुके हैं और उनके अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जाएगी। इसी दौरान उन्होंने कहा कि एनपीआर की प्रक्रिया के दौरान कोई दस्तावेज या बायोमेट्रिक नहीं लिया जाएगा।
जानें क्या एनपीआर
एनपीआर एक तरह से देश की जनगणना करने का काम है, जो कि सभी नागरिकों को इस लिस्ट में जोड़ा जाता है। जो नागरिक 6 महीने से किसी स्थान पर रह रहा है तो वो एनपीआर की लिस्ट में जुड़ जाता है। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के लिए डेटा को भारत की जनगणना 2011 में हुई थी। इससे पहले साल 2015 में डोर-टू-डोर सर्वे किया गया था, जिसे अपडेट भी किया गया। वहीं सरकार ने साफ मना कर दिया है कि एनआरसी से इसका कोई संबंध नहीं है और ना ही देश में एनआरसी पर किसी तरह का कोई प्रस्ताव रखा गया है।
ये देनी होगी जानकारी
1. व्यक्ति का नाम
2. पिता/पति का नाम
3. माता का नाम
4. घर का पता
5. मैरिटल स्टेटस
6. जन्म स्थान
7. शिक्षा
8. व्यवसाय
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