संसद के कानूनों में कोई स्पष्टता नहीं, मुकदमेबाजी बढ़ जाती है: सीजेआई एनवी रमना
खबरों से मिली जानकारी के मुताबिक, इसके अलावा सीजेआई ने कहा कि इससे अदालतों पर कानूनों की व्याख्या या उन्हें लागू करने का बोझ थोड़ा कम होता था।;
स्वतंत्रता दिवस 2021: 75वें स्वतंत्रता दिवस पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के कार्यक्रम में बोलते हुए सीजेआई एनवी रमना ने संसदीय बहसों के गिरते स्तर पर चिंता जताई है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि संसद के बनाए कानूनों में अब स्पष्टता नहीं है।
पहले संसद के भीतर होने वाली बहसें बेहद समझदारी भरी, सकरात्मक हुआ करती थीं। तब किसी भी कानून पर ठीक से चर्चा होती थी। लेकन अब ऐसा नहीं है। अब हम कानूनों में काफी अंतराल देखते हैं, कानून बनाने में खासी अनिश्चितता होती है।
इसके अलावा सीजेआई ने कहा कि संसद के कानूनों में कोई स्पष्टता नहीं है। हम नहीं जानते कि कानून किस उद्देश्य से बनाए गए हैं। यह सरकार के लिए बहुत सारे मुकदमेबाजी, असुविधा और नुकसान के साथ-साथ जनता को असुविधा पैदा कर रहा है। अगर सदनों में बुद्धिजीवी और वकील जैसे पेशेवर न हों तो यही होता है।
If you see the debates which used to take place in Houses in those days, they used to be very wise, constructive&they used to debate any legislation they were making...Now, sorry state of affairs. We see the legislations-lot of gaps, lot of ambiguity in making laws: CJI NV Ramana pic.twitter.com/Ite2wtrTEk
— ANI (@ANI) August 15, 2021
खबरों से मिली जानकारी के मुताबिक, इसके अलावा सीजेआई ने कहा कि इससे अदालतों पर कानूनों की व्याख्या या उन्हें लागू करने का बोझ थोड़ा कम होता था। क्योंकि, हमें मालून रहता था कि कानून बनाने के पीछे विधायिका का उद्देश्य क्या है? अपने भाषण के दौरान उन्होंने यह भा कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व ज्यादातर वकीलों के हाथ में रहा।
महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल के अलावा उन्होंने कई और नामों को गिनाया। सीजेआई ने कहा कि उन्होंने आंदोलन का नेतृत्व किया और हमें आजादी दिलाई। आप पहली लोकसभा, राज्यसभा और राज्य की विधानसभा की संरचना देखेंगे तो ज्यादातर वकील पाएंगे।