नरेंद्र मोदी सरकार ने कोरोना के खिलाफ रणनीति बनाने में ली थी विशेषज्ञों की मदद, केंद्र सरकार ने कहा अफवाह फैलायी जा रही

देश में कोरोना संक्रमितों की लगातार बढ़ती संख्या के बीच केंद्र ने इन आरोपों को निराधार बताया है, जिनमें कहा गया था कि सरकार कोरोना के खिलाफ रणनीति बनाने में विशेषज्ञों की राय नहीं ले रही है। सरकार ने कहा है कि वह सामने आ रही जानकारी और जमीनी अनुभवों के आधार पर कोविड-19 के खिलाफ रणनीति को दुरुस्त कर रही है।;

Update: 2020-06-09 01:55 GMT

देश में कोरोना संक्रमितों की लगातार बढ़ती संख्या के बीच केंद्र ने इन आरोपों को निराधार बताया है, जिनमें कहा गया था कि सरकार कोरोना के खिलाफ रणनीति बनाने में विशेषज्ञों की राय नहीं ले रही है। सरकार ने कहा है कि वह सामने आ रही जानकारी और जमीनी अनुभवों के आधार पर कोविड-19 के खिलाफ रणनीति को दुरुस्त कर रही है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि मीडिया का एक वर्ग कोरोना महामारी से लड़ने को लेकर भारत के फैसलों की लगातार खबरें दे रहा है। कोविड-19 के मामलों में तेजी से वृद्धि की पृष्ठभूमि में लॉकडाउन का फैसला किया गया। इसी का नतीजा है कि संक्रमण के दोगुना होने की दर निम्न स्तर पर है।

जबकि पश्चिमी देशों लॉकडाउन का फैसला सही समय पर न लेने के चलते संक्रमण के ज्यादा मामले सामने आए। इसके अलावा भारत में मृत्युदर भी कम रही। लॉकडाउन न होता तो मरीजों में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी हो जाती और स्वास्थ्य सेवाओं के धराशायी होने की आशंका सच हो जाती।

सभी सरकारों के बीच सहमति थी

बयान में कहा गया है कि लॉकडाउन को लेकर सभी राज्य सरकारों के बीच सहमति थी। मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने पहले ही लॉकडाउन व अन्य पाबंदियों से लाखों संक्रमण और हजारों मौतों के टलने संबंधी सूचना साझा की है। इससे स्वास्थ्य प्रणाली और लोगों की तैयारियों में बहुत फायदा हुआ।

बयान के मुताबिक यह वायरस नया है और अभी तक इसके बारे में पूर्ण जानकारी उपलब्ध नहीं है। सरकार सामने आ रही जानकारियों व जमीनी अनुभवों के आधार पर रणनीति को प्रभावी बना रही है। इसमें विशेषज्ञों की बड़ी भूमिका है।

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