रेलवे के सबसे बड़े अधिकारी 'सीआरबी' ने भी छुपाया संपत्ति का ब्यौरा, जानें पूरा मामला

रेलवे बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध अधिकारियों की प्रापर्टी रिटर्न चेयरमैन रेलवे बोर्ड श्री वीके यादव की प्रॉपर्टी रिटर्न शामिल नहीं है।;

Update: 2020-12-27 15:31 GMT

देश में ऊंचे पदों पर बैठे मंत्रियों से लेकर अधिकारियों की सालाना आय में पारदर्शिता बनाये रखे जाने के लिए केंद्र सरकार के आदेश के मुताबिक, अपनी आय और चल अचल संपत्ति दोनों की घोषणा करना जरूरी है। पर इसे छुपाने में सांसद, मंत्री के साथ-साथ अब बड़े अधिकारी भी पीछे नहीं है। कई बार घोषणा की तो जाती है पर आधी अधूरी की जाती है। कुछ ऐसे ही मामला भारतीय रेलवे के सबसे बड़े अधिकारी चेयरमैन रेलवे बोर्ड का भी सामने आया है। जहां उन्होंने अपनी आय में अपने पुशतैनी जायदाद का जिक्र नहीं किया है। 

रेलवे बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध अधिकारियों की प्रापर्टी रिटर्न चेयरमैन रेलवे बोर्ड श्री वीके यादव की प्रॉपर्टी रिटर्न शामिल नहीं है। पर वही इससे पहले बतौर जीएम साउथ सेंट्रल रेलवे की वेबसाइट पर यादव की जो प्रोपर्टी रिटर्न में एनसीआर के ग्रेटर नोएडा के प्लॉट का ज़िक्र तो है पर उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद में उनके पैतृक गांव करण छपरा की प्रॉपर्टी का कोई जिक्र नहीं है। 

गौरतलब है कि सभी सरकारी अधिकारियों को हर साल सरकार को अपनी चल और अचल संपती का ब्यौरा देना पड़ता है। ब्यौरा ना देना सेवा अधिनियम यानी कंडक्ट रूल्स का उल्लंघन है। और इस पर वैधानिक कार्यवाही का प्रावधान है। पर सीआरबी के द्वारा पूर्व में ब्यौरे में श्री यादव ने बलिया में अपनी सम्पत्ति का विवरण सरकार को हर साल दिए जाने वाले रिटर्न में नहीं दिया। जबकि स्थानीय अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है की में यादव के नाम अचल सम्पत्ति मौजूद है। अब जब सरकार में बैठे बड़े अधिकारी की इस तरह तथ्यों को छुपायेंगे तो इसका असर लोअर ब्यूरोक्रेसी पर क्या पड़ेगा।

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