राजस्थान में अवैध खनन के खिलाफ खुद को आग लगाने वाले साधु विजय दास की दिल्ली में मौत, पार्थिव देह को ले जा रहे बरसाना
राजस्थान के भरतपुर में अवैध खनन के विरोध में आंदोलन में शामिल साधु विजय दास ने 21 जुलाई को खुद को आग लगा ली थी। बीती रात उन्होंने दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल में उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। बीजेपी ने इसके लिए गलहोत सरकार को जिम्मेदार ठहराकर मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित की है। पढ़िये पूरा मामला...;
राजस्थान (Rajasthan) में ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा के पहाड़ों पर अवैध खनन (Illegal Mining) के विरोध में पिछले 550 दिनों से चले साधु-संतों के आंदोलन में शामिल साधु विजय दास (Sadhu Vijay Das) की दिल्ली (Delhi) के सफदरजंग हॉस्पिटल (Safdarjung Hospital) में उपचार के दौरान मौत हो गई। बीजेपी ने साधु विजय की मौत के लिए राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) की सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। बीजेपी ने मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित की है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राजस्थान के भरतपुर जिले के डीग तहसील के पसोपा गांव में अवैध खनन के अलावा वनों की कटाई और ओवरलोडिंग के विरोध में साधु-संत पिछले करीब 550 दिन से आंदोलन पर थे। 20 जुलाई को साधु विजय दास ने साधु-संतों की मांगें पूरी न होने से से व्यथित होकर खुद पर ज्वलीनशील पदार्थ डालकर खुद को आग लगा दी। उन्हें गंभीर हालत के चलते जयपुर के हॉस्पिटल में भर्ती कराया। इसके बाद उन्हें गंभीर हालत के चलते दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल रेफर किया गया।
एसडीओ संजय गोयल का कहना है कि साधु विजय दास ने 21 जुलाई को शुक्रवार की देर रात उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। शनिवार सुबह उनके पार्थिव शरीर को घरवालों के सुपुर्द किया गया है। उधर, साधु विजय गोयल की मौत से बीजेपी ने गहलोत सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
भाजपा के प्रदेश महामंत्री भजन लाल शर्मा ने बताया कि इस संदर्भ में जांच कमेटी गठित की गई है। यह कमेटी तुरंत प्रभाव से भरतपुर जाकर संपूर्ण तथ्यों की निष्पक्ष जांच कर डॉ. पूनियां को अपनी रिपोर्ट करेगी। उन्होंने बताया कि समिति में सांसद बाबा बालकनाथ, पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी, गजेन्द्र सिंह खींवसर, पूर्व विधायक राजकुमारी जाटव एवं जिला प्रभारी बनवारी लाल सिंघल को शामिल किया गया है।
उधर, भरतपुर से बीजेपी सांसद रंजीता कोली ने कहा कि साधु विजय दास जी 500 दिनों से अधिक समय से धरने पर बैठे थे, लेकिन अवैध खनन के मुद्दे पर कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासन में प्रशासन अवैध खनने के खिलाफ कुछ नहीं कर रही। मुख्यमंत्री जी अपनी सीट बचाने के लिए खनन माफिया का साथ दे रहे हैं।
बता दें कि राजस्थान के पहाड़ी क्षेत्र में अवैध खनन, वन कटाई और ओवरलोडिंग वाहनों के खिलाफ साधु संत करीब 550 से अधिक दिनों से आंदोलन कर रहे थे। साधु विजय के आत्मदाह प्रयास के बाद पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह साधु संतों से मिले और भरोसा दिलाया कि उनकी मांगें पूरी की जाएंगी। उन्होंने कहा था कि खनन क्षेत्र के इलाके को 15 दिन में वन क्षेत्र घोषित किया जाएगा। इसके बाद साधु संतों ने अपना आंदोलन समाप्त कर दिया था।
उधर, राज्य के सीएम अशोक गहलोत ने भी इस का संज्ञान लिया था और संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि संपूर्ण राज्य में अवैध खनन, अवैध वन कटाई और ओवरलोडिंग करने वालों पर सख्ती से निपटा जाए। बावजूद इसके साधु विजय दास की मौत के बाद से अशोक गहलोत पर बीजेपी ने हमला बोल दिया है।
सबसे ज्यादा यहां होता है अवैध खनन
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी विधायक संदीप शर्मा के एक सवाल के जवाब में सरकार ने विधानसभा सत्र के दौरान खनन की जानकारी दी थी। राजस्थान में सबसे अधिक अवैध खनन गहलोत सरकार में खान मंत्री प्रमोद जैन भाया के बारां जिले में हो रहा है। दूसरे नंबर पर मंत्री शांति धारीवाल के कोटा जिले में हो रहा है। प्रदेश में जनवरी 2020 से जनवरी 2022 तक दो सालों में अवैध खनन के 4,868 मामले सामने आए हैं। इस दौरान खान विभाग ने 1303 और वन विभाग ने 3565 मामले अवैध खनन को लेकर दर्ज किए हैं।