रणदीप सिंह सुरजेवाला बोले- मोदी और महंगाई दोनों देश को मार रहे, सरकार से की ये मांगें
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि मोदी और महंगाई दोनों देश को मार रहे हैं। डीज़ल, गैस और पेट्रोल की बढती कीमतें बज़ट बिगाड़ गयी और बाकी कुछ बचा था तो महंगाई मार गयी; अच्छे दिन तो आये नहीं, महंगे दिनों ने देश की जनता का बजट बिगाड़ दिया।;
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मंगलवार को ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान महंगाई को लेकर मोदी सरकार को घेरा है और कई मांगें भी की हैं। आईएनसी ट्विटर के मुताबिक, कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि मोदी और महंगाई दोनों देश को मार रहे हैं। डीज़ल, गैस और पेट्रोल की बढती कीमतें बज़ट बिगाड़ गयी और बाकी कुछ बचा था तो महंगाई मार गयी; अच्छे दिन तो आये नहीं, महंगे दिनों ने देश की जनता का बजट बिगाड़ दिया।
अब सवाल यह है कि क्या खाएं, क्या पकाएं और घर का बज़ट कैसे चलाएं? आज ये सीधे तीन सवाल मुंह बाएं हिन्दुस्तान की जनता के सामने खड़े हैं; उपभोक्ता मूल्य महंगाई के ताजा आंकडें जारी हो गए हैं और वो 6.26% या लगभग 6.3% तक पहुँच गयी है। शहरों में महंगाई और ज्यादा है; चाहे वो खाने-पीने का सामान हो, दाल-सब्जी-फल हो, यातायात के साधन हों, पेट्रोल-डीज़ल हों या रसोई गैस हो और अब CNG-PNG गैस के दाम भी सरकार ने इसी हफ्ते और बढ़ा दिए हैं।
सच्चाई ये भी है कि एक तरफ महंगाई की मार और दूसरी तरफ बेरोजगारी की धार; पहली बार इस देश में वर्षों के बाद बेरोजगारी की दर 8% को पार कर गयी है। वो सारे प्रान्त जहाँ बेरोजगारी की दर 20%, 25% और 30% है वो सभी भाजपा शासित प्रदेश हैं; नौकरियां जा रही हैं; 4 करोड़ के करीब रोजगार अकेले लॉकडाउन में चले गए। महंगाई, बेरोजगारी, जाती नौकरियां और घटती तनख्वाह; चौतरफा मार हिन्दुस्तान की जनता पर पड़ रही है; इसलिए किसी ने कहा है कि मोदी और महंगाई, दोनों ही देश की जनता के लिए हानिकारक हैं।
इस महंगाई के लिए अगर कोई जिम्मेदार है, तो वो सिर्फ मोदी सरकार है; यह महंगाई मांग बढ़ने की वजह से नहीं हुई है, लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा ह, इसलिए भी नहीं हुई, यह महंगाई सरकार की गलत और जन विरोधी नीतियों का परिणाम है।
हमारी मांगें
* पेट्रोल-डीज़ल और रसोई गैस के दाम फ़ौरन कम किए जाएँ
* सरकार जो सेस लगाकार लाखों-करोड़ों का मुनाफा कमा रही है उसमें कटौती करे और उससे जनता को राहत पहुंचाई जाए।
* उपभोक्ता के इस्तेमाल की चीज़ों पर जो आयात शुल्क लगा हुआ है, फौरी तौर पर उस पर पुनर्विचार कर उसे कम किया जाए।
* साबुन, तेल, बिस्किट, टूथपेस्ट, कपड़े जैसी रोजमर्रा की चीजों पर जीएसटी काउंसिल की मीटिंग बुलाकर प्रधानमंत्री इसमें हस्तक्षेप करें।