टमाटर हुआ 'लाल', दिल्ली में 80 रुपए पहुंचा भाव, कहीं बारिश तो कहीं सूखा बना वजह
सूखे के कारण इस साल टमाटर की पैदावार बहुत कम हुई। कई खेतों में टमाटर के पौधे तो लगा दिया गया पर पानी न मिलने के कारण टमाटर की पैदावार हो ही नहीं पाई जिसके कारण देश के तमाम हिस्सों में इसकी कमी हो गई। जबकि खपत हमेशा की तरह बनी रही। ये भी एक कारण रहा जो टमाटर का रेट बढ़ता चला गया।;
पूरे देश में इस समय टमाटर की कीमते बढ़ गई हैं। 10 दिन पहले जो टमाटर 20-30 रुपए किलो मिल जा रहा था वह इस समय दोगुने से भी ऊपर पहुंच गया है। राजधानी में ही टमाटर का भाव 80 रुपए किलो पहुंच गया है। वर्तमान हालात को देखते हुए लग रहा कि कीमते जल्द ही शतक जड़ देंगी। आखिर एक ही झटके में ये टमाटर के दाम कैसे इतना बढ़ गए कि सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा? सरकार ने मदर डेयरी को निर्देश दिया कि वह दिल्ली में 40 रुपए किलो ही टमाटर बेचे।
पहला कारण जो बताया जा रहा वो ये कि सूखे के कारण इस साल टमाटर की पैदावार बहुत कम हुई। कई खेतों में टमाटर के पौधे तो लगा दिया गया।पर पानी न मिलने के कारण टमाटर की पैदावार हो ही नहीं पाई जिसके कारण देश के तमाम हिस्सों में इसकी कमी हो गई। जबकि खपत हमेशा की तरह बनी रही। ये भी एक कारण रहा जो टमाटर का रेट बढ़ता चला गया।
देश में कई राज्य ऐसे हैं जो टमाटर के मामले में अपने पड़ोसी राज्यों पर निर्भर हैं। महाराष्ट्र में टमाटर की सप्लाई गुजरात और कर्नाटक से हो रही है। बेंगलूरू में इस साल पानी की कमी ने इंसानों को रुला दिया। लोग अपने लिए ही पानी का इंतजाम नहीं कर पाए तो टमाटर की खेती के लिए कैसे करते। गुजरात के हालात कर्नाटक से थोड़े सही रहे पर इसे भी बेहतर नहीं कहा जा सकता।
इसी तरह देश की राजधानी दिल्ली बिहार और उत्तर प्रदेश से आने वाले टमाटरों पर निर्भर है। जहां इसकी कमी है। यहां का मामला एकदम उल्टा है। पिछले 15 दिनों में यूपी और बिहार के कई हिस्सों में तेज आंधी पानी ने टमाटर की फसल को एकदम बर्बाद कर दिया। नदियों के तट पर जिन किसानों ने टमाटर पैदा करके पैसा कमाना चाहा उनका मुनाफा बढ़ते नदियों के जलस्तर में बह गया।
नासिक जो टमाटरों का गढ़ कहा जाता है वहां उत्पादन आधा हो गया है। नासिक में करीब 1.25 लाख हेक्टयर में टमाटर की खेती होती है पर इस साल पूरे में टमाटर नहीं लगाया गया। प्रति हेक्टेयर पहले 12 से 14 टन पैदावार थी जो अब 7 से 8 टन पर आ गई है। इसके पीछे पिछले दिनों महाराष्ट्र में हुई तेज बारिश भी वजह रही। फिलहाल अनुमान लगाया जा रहा कि अगले 10 दिनों में इसके रेट में कमी की जाएगी।
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