मोहन भागवत बोले, गांधी जो को अपने हिंदू होने पर कभी शर्म नहीं आई

20 साल पहले मैं कहता था कि गांधी जी के कल्पना का भारत आज नहीं है। भविष्य में कभी होगा या नहीं हमें तो बड़ा असंभव लगता था।;

Update: 2020-02-17 13:57 GMT

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के चीफ मोहन भागवत ने सोमवार को दिल्ली में शिक्षाविद् जगमोहन सिंह राजपूत द्वारा लिखित पुस्तक 'गांधी को समझने का यही समय' का विमोचन किया।

इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि जिस नई पीढ़ी की आप चिंता कर रहे हैं। वह नई पीढ़ी गांधी जी की कल्पना के भारत का सपना पूर्णता साकार करने वाली पीढ़ी रहेगी।

20 साल पहले मैं कहता था कि गांधी जी के कल्पना का भारत आज नहीं है। भविष्य में कभी होगा या नहीं हमें तो बड़ा असंभव लगता था। मैं सारे देश में घूमता हूं और आज विश्वासपूर्ण कह सकता हूं कि गांधी जी की कल्पना के भारत का सपना साकार होना प्रारंभ हो गया है।

गांधी जी ने कई बार कहा कि मैं पक्का सनातनी हूं

मोहन भागवत ने यह भी कहा कि गांधी जो को अपने हिंदू होने पर कभी शर्म नहीं आई। गांधी जी ने कई बार कहा कि मैं पक्का सनातनी हूं। गांधी जी कहते थे कि सभी अपने अपने धर्म को मानो और शांति से रहो।

शुरू के दिनों में वो तकनीकी के विरोधी थे लेकिन बाद में उसमें परिवर्तन कर लिया। डॉ. हेडगवार ने 1920 में कहा था कि गांधी जी के जीवन का अनुसरण करना चाहिए, सिर्फ स्मरण नहीं।

गांधी जी का बड़ा विरोध करने वाला भी सवाल नहीं उठा सकता

इसके अलावा मोहन भागवत ने कहा कि गांधी जी को मिली पारिस्थिति और जो समाज मिला तब उसके अनुसार सोचा, आज जो पारिस्थिति है, उसमें हम कार्बन कॉपी नहीं कर सकते हैं। गांधी जी होते तो वो भी रोक देते। जो निर्भय है, उसे ही सत्य मिलता है, गांधी जी की सत्यनिष्ठा निर्विवाद है। जो गांधी जी का बड़ा विरोध करने वाला भी सवाल नहीं उठा सकता है।

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