Sahara India Pariwar Founder: चिटफंड कंपनी से खड़ा किया विशाल साम्राज्य, पढ़ें Subrata Roy कैसे बने सहाराश्री
Sahara India Pariwar Founder: सुब्रत रॉय की सहारा ग्रुप को स्थापित करने की कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। सुब्रत रॉय स्कूटर पर नमक बेचते थे। उनका सफर सड़क पर सामान बेचने से शुरू होकर सहारा ग्रुप में बदल गया। पढ़ें विस्तार से...;
Sahara India Pariwar Founder Subrata Roy: सहारा इंडिया परिवार के संस्थापक सुब्रत रॉय का 14 नवंबर, 2023 को 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में अंतिम सांस ली। सहारा ग्रुप ने एक बयान जारी कर इस संबंध में जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि सुब्रत रॉय का मंगलवार रात 10.30 बजे कार्डियक अरेस्ट से निधन हो गया। वह रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियों से पीड़ित थे। पिछले कई दिनों से उनकी हालत लगातार बिगड़ रही थी, इसलिए उन्हें 12 नवंबर को मुंबई के अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था।
सुब्रत रॉय का जन्म 10 जून 1948 को बिहार के अररिया जिले में हुआ था। भारत में उद्यमियों में सबसे महत्वपूर्ण नामों में से एक नाम सुब्रत रॉय का है। उन्होंने वित्त, रियल एस्टेट, मीडिया और आतिथ्य जैसे विभिन्न क्षेत्रों में एक विशाल साम्राज्य बनाया। सुब्रत रॉय ने 1978 में सहारा इंडिया परिवार समूह की स्थापना की। सहारा भारतीय हॉकी टीम को प्रायोजित करता है और फॉर्मूला वन रेसिंग टीम फोर्स इंडिया में भी उसकी हिस्सेदारी है।
सुब्रत रॉय की यात्रा गोरखपुर से शुरू हुई
सहारा ग्रुप के मुखिया सुब्रत रॉय ने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर साल 1978 में स्कूटर पर नमक बेचना शुरू किया था। लेकिन किसे पता था कि एक दिन यही शख्स सहारा के नाम 2 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा का साम्राज्य खड़ा कर देगा। लोगों से प्रतिदिन 10-20 रुपये जमा करवाकर सुब्रत रॉय ने भारत के वित्तीय क्षेत्र के लिए एक नई मिसाल कायम की। लोगों को अपनी छोटी-छोटी बचत पर अच्छा रिटर्न मिला। लोगों से जुटाए पैसों से दूसरे बिजनेस शुरू किए। सहारा के इतिहास में एक समय ऐसा भी आया था जब सहारा समूह रेलवे के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता बन गया था। सहारा के तहत काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या ऑफिस और फील्ड मिलाकर 12 लाख तक पहुंच गई। आज तक देश की कोई भी निजी कंपनी इस आंकड़े को नहीं छू सकी है।
रॉय के नेतृत्व में सहारा ने कई बिजनेस को विस्तार दिया है। सहारा ग्रुप ने साल 1992 में हिंदी भाषा न्यूजपेपर सहारा लॉन्च किया। 1990 के दशक के आखिर में पुणे के पास महत्वाकांक्षी एम्बी वैली सिटी परियोजना शुरू की और सहारा टीवी के साथ टेलीविजन के क्षेत्र में कदम रखा था। हालांकि, इसका नाम बदलकर सहारा वन कर दिया गया। 2000 के दशक में, सहारा ने लंदन के ग्रोसवेनर हाउस होटल और न्यूयॉर्क शहर के प्लाजा होटल जैसी प्रतिष्ठित संपत्तियों का अधिग्रहण करके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपस्थिति का विस्तार किया।
सहारा इंडिया परिवार को एक समय टाइम पत्रिका ने भारतीय रेलवे के बाद भारत में दूसरी सबसे बड़ी रोजगार देने वाली कंपनी के रूप में नामित किया था। सहारा इंडिया परिवार में लगभग 12 लाख कर्मचारी कार्यरत थे। समूह का दावा है कि उसके पास 9 करोड़ से अधिक निवेशक हैं, जो भारतीय परिवारों के एक महत्वपूर्ण हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं।
जब विवाद में फंसे सुब्रत रॉय भी हुए गिरफ्तार
बिजनेस क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने वाले रॉय कुछ साल पहले विवादों में फंस गए थे। 2014 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के साथ विवाद के संबंध में अदालत में उपस्थित नहीं होने के कारण सुब्रत रॉय को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके कारण एक लंबी कानूनी लड़ाई हुई, जिसमें रॉय को तिहाड़ जेल में भी समय बिताना पड़ा और बाद में उन्हें पैरोल पर रिहा कर दिया गया। पूरा मामला सहारा के निवेशकों को अरबों रुपये लौटाने की सेबी की मांग के इर्द-गिर्द घूमता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस उद्देश्य के लिए एक सहारा-सेबी रिफंड खाता भी स्थापित किया है।
सेबी की कार्रवाई और सहारा का अधिग्रहण
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के साथ लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, निवेशकों को कथित रूप से धोखा देने के आरोप में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सहारा प्रमुख को उनकी कंपनी के दो निदेशकों के साथ जेल में डाल दिया गया था। 4 मार्च 2014 को उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया। रॉय को पैरोल पर जेल से रिहा किया गया था। सुब्रत रॉय को निवेशकों के 20,000 करोड़ रुपये ब्याज सहित लौटाने को कहा गया है। उनके पास भारत और विदेशों में कई रियल एस्टेट संपत्तियां हैं।
सुब्रत रॉय पर अपने निवेशकों द्वारा दिए गए पैसे नहीं लौटाने का आरोप था। इसके चलते सेबी ने उनके खिलाफ कार्रवाई की और 20 मिलियन डॉलर का रिफंड उनके लिए मुसीबत बन गया। इसके बाद रॉय परिवार के लिए मुसीबतों का सिलसिला शुरू हो गया। रॉय को जेल जाना पड़ा और उनके कारोबार पर भी असर पड़ा।
बिजनेस में योगदान के लिए कई पुरस्कार
रॉय की कानूनी परेशानियों का व्यवसाय जगत में उनके योगदान पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। उन्हें कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं, जिनमें ईस्ट लंदन विश्वविद्यालय से बिजनेस लीडरशिप में मानद डॉक्टरेट की उपाधि और लंदन में पॉवरब्रांड्स हॉल ऑफ फेम अवार्ड्स में बिजनेस आइकन ऑफ द ईयर पुरस्कार शामिल है।