समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का मामला, SC ने 5 जजों की संविधान पीठ को सौंपा, इस दिन होगी सुनवाई

Same Sex Marriage Case: सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाले मामले को 5 जजों की संविधान पीठ को सौंप दिया।;

Update: 2023-03-13 11:52 GMT

Same Sex Marriage Case: सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाले मामले में आज सोमवार यानी 13 मार्च को 5 जजों की संविधान पीठ को सौंप दिया। कोर्ट के फैसले के बाद अब इस पर मामले पर अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत समलैंगिक विवाह के रजिस्ट्रेशन की मांग की गई है। वहीं, इसको लेकर केंद्र सरकार ने कहा है कि यह भारत की पारिवारिक व्यवस्था के खिलाफ है। इसके साथ ही इसमें बहुत सी कानूनी अड़चनें भी हैं।

बता दें कि समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने छह जनवरी को देश भर के विभिन्न हाई कोर्ट में लंबित सभी याचिकाओं को एक साथ जोड़ते हुए उन्हें अपने पास स्थानांतरित कर लिया था। वहीं, इसको लेकर केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट में रविवार यानी 12 मार्च को हलफनामा भी दाखिल किया था। इसमें केंद्र ने कहा कि भारतीय दंड संहिता आईपीसी की धारा 377 के तहत इसे वैध करार दिए जाने के बावजूद, याचिकाकर्ता देश के कानूनों के तहत समलैंगिक विवाह के लिए कानूनी दावा नहीं कर सकते हैं।

केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में कहा कि विवाह, कानून की एक संस्था के रूप में, विभिन्न विधायी अधिनियमों के तहत कई वैधानिक परिणाम हैं। इसलिए, ऐसे मानवीय संबंधों की किसी भी औपचारिक मान्यता को दो वयस्कों के बीच केवल गोपनीयता का मुद्दा नहीं माना जा सकता है। केंद्र ने कहा कि एक ही लिंग के दो व्यक्तियों के बीच विवाह की संस्था को न तो किसी असंहिताबद्ध व्यक्तिगत कानूनों में या किसी संहिताबद्ध वैधानिक कानूनों में इसे मान्यता दी गई है।

बता दें कि रविवार यानी 12 मार्च को भी सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के अनुरोध में संबंधित याचिकाओं का विरोध किया था। केंद्र ने हाई कोर्ट में विरोध करते हुए कहा था कि इससे व्यक्तिगत कानूनों और स्वीकार्य सामाजिक मूल्यों में संतुलन प्रभावित होगा। केंद्र ने कहा कि विवाह की धारणा अनिवार्य रूप से विपरीत लिंग के दो व्यक्तियों के बीच एक मिलन को मानती है। यह सामाजिक, सांस्कृतिक और कानूनी रूप से विवाह के विचार और अवधारणा में शामिल है। केंद्र ने कहा कि इसमें किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं किया जाना चाहिए।

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