Udham Singh ने 21 साल बाद लिया था 'जलियांवाला बाग हत्याकांड' का बदला, लंदन जाकर मारी थी जनरल डायर को गोली

भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के महान सेनानी उधम सिंह (Udham Singh) को आज ही के दिन यानी 31 जुलाई 1940 को फांसी दी गई थी।;

Update: 2023-07-31 03:36 GMT

Sardar Udham Singh : भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के महान सेनानी उधम सिंह (Udham Singh) को आज ही के दिन यानी 31 जुलाई 1940 को फांसी दी गई थी। आइए जानते हैं कि ब्रिटिश सरकार ने उन्हें फांसी की सजा क्यों सुनाई थी और उन्होंने 13 अप्रैल 1919 में हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला कैसे लिया था। 

जानकारी के मुताबिक, उधम सिंह ने ही 21 साल बाद जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लिया था। उन्होंने 13 मार्च 1940 को माइकल ओ डायर को गोली मार दी थी। इसके कुछ देर बाद ही डायर की मौत हो गई थी। यह गोली उन्होंने लंदन के कैक्सटन हॉल में जाकर मारी थी। उस वक्त डायर ईस्ट इंडिया एसोसिएशन और रॉयल सेंट्रल एशियन सोसाइटी की मीटिंग में अपना भाषण खत्म करने बाद अपनी कुर्सी पर बैठने जा रहे थे।   

बीच में छोड़ दी थी पढ़ाई

कहा जाता है कि जब जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ समय सरदार उधम सिंह भी मौके पर मौजूद थे। इस क्रूर हत्याकांड को देखने के बाद उधम सिंह के मन में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ बदला लेने की भावना पैदा हो गई थी और उन्होंने सोच लिया था कि वह एक दिन इस हत्याकांड का बदला जरूर लेकर रहेंगे। इसके लिए उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए। 

6 साल तक मौके की तलाश करते रहें उधम सिंह

कहा जाता है कि सरदार उधम सिंह करीब 6 साल तक लंदन में रहे और इस हत्याकांड का बदला देने के लिए एक मौके की तलाश करते रहे। आखिरकार 13 मार्च 1940 को उन्हें वो मौका मिल ही गया। वह डायर को गोली मारने के लिए अपनी किताब में रिवॉल्वर छिपाकर ले गए थे। घटना के बाद उधम सिंह को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गा। इसके बाद उनके खिलाफ कोर्ट में मुकदमा चलाया गया। 31 जुलाई 1940 को उन्हें फांसी दे दी गई।

क्यों हुआ था जलियावाला कांड 

साल 1919 में बैसाखी के दिन रोलेट एक्ट के खिलाफ शांतिपूर्वक विरोध कर रहे थे। ब्रिगेडियर जनरल आरईएच डायर के आदेश पर ब्रिटिश सेना की एक इकाई ने प्रदर्शन करने वालों पर अंधाधुंध गोलिया बरसा दी। इस नरसंहार में एक हजार से ज्यादा निहत्थी महिलाएं, पुरुष और बच्चे मारे गए। वहीं 1,200 से अधिक लोगों को गंभीर चोटें आईं। कहा जाता है कि अपनी जान बचाने के लिए सैकड़ों महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे कुएं में भी कूद गए थे। 

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