Savitribai Phule Jayanti : भारत की पहली महिला शिक्षक सावित्रीबाई फुले का जन्मदिन आज, प्रधानमंत्री ने किया नमन

Savitribai Phule Jayanti : भारत को आज ही के दिन देश की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले मिली थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक ट्वीट के माध्यम से उन्हें नमन किया है। आइये उनके जीवन काल पर थोडी नजर डालें।;

Update: 2020-01-03 05:59 GMT

savitribai phule jayanti savitribai phule biography : आज का नारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, आप सब इस नारे से बखूबी परिचित होगें।.......आइए अब थोड़ा समय के चक्र को घुमाया जाए। बात करें 18वी सदी की तो यहां बेटियों को पढ़ने-लिखने का आजादी नहीं थी। महिलाओं को पर्दे में रखा जाता था। ऐसे समय में इन सब कुरीतियों को दरकिनार करते हुए सावित्रीबाई फुले ने कुछ ऐसा कर दिखाया जिसे लोग आज भी याद रखते हैं।

सावित्रीबाई फुले का जन्म (Savitribai Phule Birthday)

सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र में हुआ था। इनके पिता का नाम खन्दोजी नेवसे और माता का नाम लक्ष्मी था। सावित्रीबाई फुले का विवाह 1840 में ज्योतिबा फुले से हुआ था। सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जीया जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना। वे एक कवियत्री भी थीं उन्हें मराठी की आदिकवियत्री के रूप में भी जाना जाता था।

भारत की पहली महिला शिक्षक (India First Female Teacher)

भारत में पहली महिला शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता सावित्रीबाई फुले का जन्म आज ही के दिन हुआ था। सावित्री बाई फुले को भारत की पहली शिक्षिका होने का श्रेय जाता है। उन्होंने यह उपलब्धि ऐसे समय में पाई थी जब महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता था। लेकिन उनके पति ज्योतिराव फुले के सहयोग के कारण उन्होंने न सिर्फ पढ़ाई की बल्कि देश की महिलाओं को भी पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। आइए आपकों उनके जीवन से जुडी कुछ ऐसी घटनाएं बताते हैं जो आपको हैरान कर देंगी।

सावित्रीबाई फुले के महत्वपूर्ण कार्य (Savitribai Phule Important Work)

-1 जनवरी 1848 को सावित्री बाई फुले ने पुणे शहर के भिड़ेवाडी में लड़कियों के लिए एक स्कूल खोला था।

-सावित्रीबाई फुले जो साडी घर के पहन कर जाती थी,उस पर वाले ब्राह्मण समाज के लोग गोबर फेंक देते थे। ब्राह्मणों का मानना था कि शूद्र-अतिशूद्रों को पढ़ने का अधिकार नहीं है।

- इनसे उनका हौंसला टूटता नहीं था वह स्कूल पहुंच कर दूसरी साड़ी पहन लेती थीं। फिर लड़कियों को पढ़ाने में जुट जाती थी।

- उनके पति ज्योतिराव फुले के पिता को जिस ब्राह्मणों ने इतना धमकाया कि उन्होंने बेटे को ही घर से निकाल दिया। उस सावित्री बाई ने ही गांव में एक ब्राह्मण की जान बचाई जब लोग उसे और उसकी गर्भवती महिला को मार रहे थे।

- उन्होंने भारत मार दी गई औरतों को दोबारा से जन्म दिया। मर्दों का चोर समाज पुणे की विधवाओं को गर्भवती कर आत्महत्या के लिए छोड़ जाता था. सावित्री बाई ने ऐसी गर्भवती विधवाओं के लिए जो किया है उसकी मिसाल दुनिया में शायद ही हो।

-1892 में उन्होंने महिला सेवा मंडल के रूप में पुणे की विधवा स्त्रियों के आर्थिक विकास के लिए देश का पहला महिला संगठन बनाया। इस संगठन में हर 15 दिनों में सावित्रीबाई स्वयं सभी गरीब दलित और विधवा स्त्रियों से चर्चा करतीं थी।

-फुले दम्पत्ति ने 28 जनवरी 1853 में अपने पड़ोसी मित्र और आंदोलन के साथी उस्मान शेख के घर में बाल हत्या प्रतिबंधक गृह की स्थापना की। जिसकी पूरी जिम्मेदारी सावित्रीबाई ने संभाली। 4 सालों के अंदर ही 100 से अधिक विधवा स्त्रियों ने इस गृह में बच्चों को जन्म दिया।

10 मार्च 1897 को प्लेग के कारण सावित्रीबाई फुले का निधन हो गया। प्लेग महामारी में सावित्रीबाई प्लेग के मरीज़ों की सेवा करती थीं। एक प्लेग के छूत से प्रभावित बच्चे की सेवा करने के कारण इनको भी छूत लग गया। और इसी कारण से उनकी मृत्यु हुई।

प्रधानमंत्री मोदी ने आज एक ट्वीट के जरिए भारत में पहली महिला शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता सावित्रीबाई फुले का जन्मदिन पर उन्हें अपना नमन किया है।

सावित्रीबाई फुले का जन्मदिन पर यह लेख मूल रूप से रवीश कुमार के फेसबुक पेज पर प्रकाशित हुआ था।

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