मैरिटल रेप अपराध या अपवाद, Supreme Court में 9 मई को सुनवाई, केंद्र सरकार ने कहा- हमारा जवाब तैयार...

मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में रखने की मांग की जा रही है। इस मामले में 9 मई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इसको लेकर कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा था, केंद्र ने कहा हमारा जवाब तैयार है।;

Update: 2023-03-22 12:28 GMT

सुप्रीम कोर्ट में मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने की मांग का जा रही है। मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने के लिए याचिका दी गई थी। इस याचिका पर 9 मई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में रखा जाए। CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस मामले में 9 मई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की जाएगी। इससे पहले कोर्ट ने मामले में केंद्र सरकार को आदेश देते हुए 15 फरवरी तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा था। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने अन्य सभी पक्षों को भी तीन मार्च तक लिखित दलील दाखिल करने के आदेश दिए थे।

केंद्र सरकार ने कहा हमारा जवाब तैयार

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मैरिटल रेप अपराध की श्रेणी में आता है या फिर नहीं इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को परीक्षण करने के लिए कहा था। कोर्ट ने 16 सितंबर 2022 को केंद्र को आदेश देते हुए कहा कि केंद्र इस मामले को लेकर नोटिस जारी करे। इसको लेकर केंद्र सरकार की ओर से SG तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि इस मामले का बड़ा असर होने वाला है। उन्होंने कहा कि हमने कुछ महीने पहले सभी हितधारकों से मामले में विचार मांगे थे, ऐसे में लोगों के जवाब जानकर लग रहा है कि देश में मैरिटल रेप के फैसले का बड़ा असर पड़ने वाला है।

बता दें कि भारतीय कानून में मैरिटल रेप को कानूनी तौर पर अपराध नहीं माना जाता है, लेकिन कई संगठनों के लोग सुप्रीम कोर्ट से मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने की मांग कर रहे हैं। इसको लेकर लंबे समय से मांग चल रही है। वहीं, अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में 9 मई को सुनवाई होगी। 

दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनाया था फैसला

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट से पहले यह मामला दिल्ली हाई कोर्ट में पहुंचा था। दिल्ली HC की दो जजों की बेंच ने 11 मई, 2022 को बंटा हुआ फैसला सुनाया था। इस मामले की सुनवाई में दोनों जजों की राय एक दूसरे से अलग थी। दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान पीठ की अध्यक्षता करने वाले जस्टिस राजीव शकधर ने मैरिटल रेप अपवाद को रद्द करने का समर्थन किया था, जबकि जस्टिस सी हरिशंकर ने मामले में कहा कि IPC के तहत अपवाद असंवैधानिक नहीं है। इसके बाद दोनों जजों ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट के पास प्रस्तावित कर दिया था।

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