सुप्रीम कोर्ट का सीएए पर अभी रोक से इनकार, केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए 4 हफ्ते का समय दिया

सीएए के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सीजेआई एसए बोबडे ने कहा है कि हम अभी कोई भी निर्देश जारी नहीं कर सकते हैं।;

Update: 2020-01-22 02:52 GMT

सुप्रीम कोर्ट में आज नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) से जुड़ी 144 याचिकाओं पर सुनवाई हुई। याचिकाओं पर सुनवाई सीजेआई एस ए बोबड़े, जस्टिस अब्दुल नजीर और संजीव खन्ना की बेंच ने की है। सीजेआई ने फिलहाल अभी कोई निर्देश देने से मना कर दिया है। चार हफ्ते बाद सुनवाई होगी। कोर्ट ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है। 

चार हफ्ते बाद होगी सुनावई

सीजेआई एस ए बोबड़े ने कहा है कि 5 जजों की बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी कि इसपर स्टे लगाना है या नहीं। इस मामले पर चार हफ्ते के बाद सुनवाई होगी। अब इस मसले को संवैधानिक पीठ बनाने पर भी निर्यण लिया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट करेगा अलग-अलग कैटेगरी के तहत सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में सीएए पर दायर की गई याचिकाओं पर अलग-अलग कैटेगरी के तहत सुनवाई करेगा। इसके तहत असम, उत्तर पूर्व के मसले पर अलग सुनवाई करेगा। वहीं, उत्तर प्रदेश में जो सीएए की प्रक्रिया शुरू की गई है उस पर भी अलग से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाओं की सूची जोन के हिसाब से मांगी हैं। अन्य याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया जाएगा। सीजेआई ने वकीलों से असम और उत्तर पूर्व से दायर की गईं याचिकाओं पर आंकड़ा मांगा है।

सीजेआई ने कहा, अभी नहीं जारी करेंगे कोई आदेश

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा है कि ह सीएए पर अभी कोई भी फैसला जारी नहीं करेंगे। सीएए के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सीजेआई एसए बोबडे ने कहा है कि हम अभी कोई भी निर्देश जारी नहीं कर सकते हैं। इसी वजह है कि अभी काफी याचिकाओं को सुनना बाकी है। अटॉर्नी जनरल ने अपील की है कि कोर्ट को आदेश जारी करना चाहिए कि अब कोई नई याचिका दायर नहीं होनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट में वकील वैद्यनाथन ने कहा है कि बाहर मुस्लिम और हिंदुओं में डर है कि एनपीआर की प्रक्रिया होती है तो उनकी नागरिकता पर सवाल होगा। अभी एनपीआर को लेकर कोई साफ गाइडलाइंस नहीं हैं।

बेंच अभी सबरीमाला पर कर रही है सुनवाई

संविधान पीठ की मांग पर जजों की तरफ से कहा गया है कि संविधान बेंच अभी सबरीमाला मामले पर सुनवाई कर रही है। वकील राजीव धवन ने मांग की है कि कौन कब बहस करेगा, ये अभी तय होना चाहिए। चीफ जस्टिस ने इसपर कहा है कि मुझे नहीं लगता है कि कोई भी प्रक्रिया वापस ली जा सकती है। हम ऐसा आदेश लागू कर सकते हैं, जो मौजूदा स्थिति के अनुरूप होगा।

3 महीने के लिए टाल दी जाए प्रक्रिया

अदालत में वकील विकास सिंह, इंदिरा जयसिंह ने कहा है कि असम से 10 से अधिक याचिकाएं हैं, वहां पर मामला पूरी तरह से अलग है। असम को लेकर अलग आदेश जारी होना चाहिए। वहीं कपिल सिब्बल की तरफ से अनुरोध किया गया है कि इस मामले पर स्टे नहीं लगता है तो तीन महीने के लिए इसे टाल दिया जाए।

इन नेताओं ने दाखिल की याचिकाएं

बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी, केरल सरकार, आरजेडी नेता मनोज झा, कांग्रेस नेता जयराम रमेश, तृणमूल कांग्रेस सांसदमहुआ मोइत्रा, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और जमीयत उलेमा-ए-हिंद समेत लगभग 144 याचिकाएं दाखिल की गई हैं।

केंद्र सरकार ने की गुजारिश

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर गुजारिश की गई है कि देश के सभी मामलों की सुनवाई एक साथ कोर्ट में की जाए। याचिकाओं पर सुनवाई सीजेआई एस ए बोबड़े, जस्टिस अब्दुल नजीर और संजीव खन्ना की बेंच करेगी।

29 जनवरी भारत बंद

शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने 29 जनवरी दिन बुधवार को भारत बंद बुलाया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि शाहीन बाग से दुनिया की कोई भी ताकत उन्हें नहीं हटा सकती है। प्रदर्शनकारियों का यह भी कहना है कि 29 जनवरी को सड़कें जाम की जाएंगी। सरकार अपने प्रतिनिधि भेजेगी, उसके बाद भी सीएए के खिलाफ विरोध इसी तरह से जारी रहेगा।

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