'चौकीदार चोर है' नारा बना राहुल के लिए मुसीबत, सुप्रीम कोर्ट में माना हलफनामे में हुईं तीन गलतियां, खेद को 'माफी' ही समझें

राफेल विमान सौदे में कथित घोटाले को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जिस 'चौकीदार चोर है' का नारा दिया है, वह उनकी मुश्किलें बढ़ाता दिख रहा है। अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हई, इस दौरान अदालत ने राहुल के द्वारा दाखिल किए गए हलफनामे की भाषा पर नाराजगी व्यक्त की है।;

Update: 2019-04-30 10:01 GMT

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल विमान सौदे में कथित घोटाले को लेकर पीएम मोदी पर आरोप लगते हुए 'चौकीदार चोर है' का नारा दिया था, वही नारा अब उनके लिए गले की फांस बन गया है। सुप्रीम कोर्ट ने मीनाक्षी लेखी द्वारा राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना मामले में मंगलवार को सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने राहुल गांधी के द्वारा दाखिल किए गए हलफनामे की भाषा पर नाराजगी जताते हुए राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि 'ब्रैकेट' में खेद जताने का क्या मतलब है...?।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने राहुल गांधी के वकील से पूछा कि जब हमने अपने फैसले में ये बातें (चौकीदार चोर है) नहीं कहीं तो ऐसा क्यों कहा जा रहा है। अदालत ने राहुल गांधी के हलफनामे की भाषा पर भी सवाल खड़े किए हैं। सीजेआई ने पूछा है कि दूसरा हलफनामा क्यों दाखिल किया गया है, आपने कहां पूरा खेद जताया है।

सुनवाई के दौरान जस्टिस कौल ने राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि आप अपनी गलती जस्टिफाई कर रहे हैं। जिसपर सिंघवी ने अपनी बात रखने के लिए 10 मिनट मांगे, तो जज ने कहा कि आप 10 नहीं 30 मिनट लें, लेकिन जवाब दें।

अभिषेक मनु सिंघवी ने माना कि उनके हलफनामे में तीन गलतियां हैं, जिसको वह मानते हैं। उन्होंने कहा कि वह खेद प्रकट करते हैं, जो माफी समान ही है। उन्होंने कहा कि मैं तीन गलतियां मानता हूं, लेकिन हमारा राजनीतिक रुख भी है।

सिंघवी बोले कि खेद और माफी समान है, चाहे तो वह डिक्शनरी दिखा सकते हैं। जिसपर अदालत ने कहा है कि उसमें उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। अब इस मसले पर अगली सुनवाई 6 अप्रैल 2019, सोमवार को होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को हलफनामा दायर करने के लिए एक और मौका दिया है, साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कर दिया कि राहुल गांधी इस मौक को ऐसा ना समझें कि माफी को स्वीकार कर लिया गया है।

मीनाक्षी लेखी के वकील ने पढ़ा बयान

सुप्रीम कोर्ट ने मीनाक्षी लेखी के वकील से पूछा कि राहुल पर अवमानना का मामला कैसे बनता है। इस पर वकील ने राहुल का वो बयान पढ़कर सुनाया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का बयान भी कह रहा है कि चौकीदार भी चोर है। इस दौरान उन्होंने कई मीडिया रिपोर्ट भी सामने रखीं।

याचिकाकर्ता मीनाक्षी लेखी की ओर से मुकुल रोहतगी ने कहा कि बाहर वह लगातार इसे अपनी जीत बता रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जब किसी राजनीतिक नारे को तवज्जो नहीं दी है तो वह इसका इस्तेमाल कैसे कर रहे हैं।

दरअसल सोमवार को राहुल गांधी ने एक नया जवाब दाखिल किया था और अपने बयान पर खेद जताया था। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा पुनर्विचार याचिका स्वीकारने के बाद राहुल गांधी ने कहा था कि अब सुप्रीम कोर्ट भी कह रहा है कि चौकीदार चोर है।

इसी पर भारतीय जनता पार्टी की नेता मीनाक्षी लेखी ने उनके खिलाफ सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की थी। राहुल ने अपने बयान पर खेद जताते हुए भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा था और कहा था कि बीजेपी भी बाहर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को क्लीन चिट बता रही है।

गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पिछले काफी लंबे समय से राफेल विमान सौदे में कथित भ्रष्टाचार को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साध रहे हैं। राहुल ने इसी मसले को आक्रामक रुप देते हुए 'चौकीदार चोर है' का नारा दिया था, जिसके जवाब में भाजपा 'मैं भी चौकीदार' का कैंपेन सामने लाई।

इसके अलावा राफेल पुनर्विचार याचिका पर भी मंगलवार को सुनवाई हुई। सोमवार को केंद्र सरकार ने एक याचिका दाखिल कर जवाब देने के समय को बढ़ाने की अपील की थी, इस याचिका को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था।

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला 10 अप्रैल को आया था, लेकिन हमें कोई नोटिस नहीं मिला था। जिसपर सीजेआई ने कहा कि अगर नोटिस नहीं मिला है, तो हम अभी नोटिस देते हैं।

AG ने सरकार की ओर से हलफनामा दायर करने के लिए और समय मांगा है। कोर्ट ने सरकार को शनिवार तक अपना जवाब देने को कहा है, मसले पर सुनवाई अब अगले सोमवार को होगी।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने राफेल विमान सौदे में कथित घोटाले की याचिका पर फैसला सुनाते हुए इस प्रक्रिया को सही बताया था। जिसके बाद केंद्र सरकार दावा कर रही थी कि उन्हें इस मसले पर सर्वोच्च अदालत से क्लीन चिट मिली है।

लेकिन इसके बाद वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी, इसमें एक अखबार द्वारा छापे गए दस्तावेज, सरकार द्वारा अदालत में जमा किए गए गलत कागज़ातों का हवाला दिया था।

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