सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की आईटी एक्ट की धारा 66 ए, सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर जेल नहीं भेज पाएंगी सरकार

सुप्रीम कोर्ट ने अभिव्यक्ति की आजादी को बरकरार रखने के लिए बड़ा फैसला सुनाया है। सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर अब किसी को जेल नहीं भेजा जा सकेगा। सुप्रीम कोर्ट ने आईटी एक्ट की धारा 66ए को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ माना है।;

Update: 2020-04-25 17:29 GMT

देश की केंद्र और राज्य सरकारें अब सोशल मीडिया पोस्ट के नाम पर किसी को जेल नहीं भेज पाएंगी। सुप्रीम कोर्ट ने आईटी एक्ट की धारा 66 ए को निरस्त कर दिया है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ी संविधान की धारा 19ए के खिलाफ मानते हुए इसे रद्द किया गया है।

पिछले कुछ दिनों में अलग-अलग राज्यों में सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। सोशल मीडिया पोस्ट को विवादित मानते हुए पुलिस आईटी एक्ट की धारा 66ए के तहत कार्रवाई करती थी। जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में श्रेया सिंघल ने याचिका दाखिल की। सोशल मीडिया से जुड़ी याचिका पर सुनवायी करते हुए जस्टिस रोहिंटन नरीमन की कोर्ट ने धारा 66 ए को रद्द करने का आदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा फैसला लेते हुए कहा कि आईटी एक्ट की धारा लोगों के मूल अधिकारियों का उल्लंघन करती है। आईटी एक्ट लोगों के जानने के अधिकार का उल्लंघन करता है। भारतीय संविधान की धारा 19ए के तहत नागरिकों को अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार है। 

विवादित पोस्ट को हटवा सकती है सरकार

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर किसी की गिरफ्तारी अब नहीं होगी। लेकिन सरकार-प्रशासन किसी पोस्ट को विवादित मानता है तो उसको हटवा सकता है। 

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