Gujarat riots: सुप्रीम कोर्ट ने Teesta Setalvad की अंतरिम राहत रखी बरकरार, 19 जुलाई तक टाली सुनवाई

गुजरात दंगे (Gujarat riots) के बाद फर्जी गवाह के जरिए कोर्ट को गुमराह करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ (Social activist Teesta Setalvad) को मिली अंतरिम राहत फिलहाल बरकरार रहेगी। सुप्रीम कोर्ट (SC) ने ये फैसला देते हुए 19 जुलाई तक के लिए मामले की सुनवाई टाल दी है। पढ़ें पूरी खबर...;

Update: 2023-07-05 12:15 GMT

गुजरात दंगे (Gujarat riots) के बाद फर्जी शपथ पत्र और झूठे गवाह बनाकर निर्दोष लोगों को सजा दिलाने के मामले में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ (Social activist Teesta Setalvad) को मिली अंतरिम राहत फिलहाल बरकरार रहेगी। तीस्ता पर गोधरा कांड (Godhra incident) के बाद हुए गुजरात दंगे से जुड़े केस में झूठे सबूतों और गवाहों के आधार पर कोर्ट को गुमराह करने का आरोप है। बता दें कि तीस्ता को 1 जुलाई को गुजरात हाई कोर्ट (Gujarat High Court) ने तुरंत आत्मसमर्पण करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने उसी दिन गुजरात हाई कोर्ट के इस फैसले पर रोक लगा दी थी। इसके बाद बुधवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 19 जुलाई के लिए मामले की सुनवाई टाल दी।

गौरतलब है कि पिछले साल 25 जून को गुजरात पुलिस ने तीस्ता को गिरफ्तार किया था। इसके बाद 2 सितंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता को नियमित जमानत के लिए निचली अदालत या गुजरात हाई कोर्ट जाने को कहा था। हाई कोर्ट ने गुजरात पुलिस की तरफ से पेश सबूतों को देखते हुए तीस्ता को नियमित जमानत देने से इनकार कर दिया है। पुलिस ने कोर्ट में कहा था कि तीस्ता ने तत्कालीन गुजरात सरकार को अस्थिर करने के लिए कोर्ट में गलत सबूत पेश किए। गवाहों के भी झूठे हलफनामे दाखिल करवाए।

तीस्ता ने अपने लाभ के लिए जाकिया का इस्तेमाल किया: सुप्रीम कोर्ट

बता दें कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगे के दौरान अहमदाबाद (Ahmedabad) में मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी (Ehsan Jafri) की पत्नी जाकिया जाफरी ने एसआईटी (SIT) की जांच रिपोर्ट खारिज करने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने जाकिया की इस मांग को ठुकराते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी थी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ पर भी टिप्पणी की थी और कहा था कि तीस्ता ने अपने लाभ के लिए जाकिया का इस्तेमाल किया। तीस्ता का मकसद किसी भी तरह इस मामले को बहुत दिनों तक जिंदा रखना था, ताकि उनको इसका लाभ मिलता रहे। ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।

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