'रमजान के दौरान दावत-ए-सहरी या इफ़्तार की कोई व्यवस्था नहीं की जाएगी'

नमाज़ अदा करने के लिए मस्जिदों के कर्मचारियों द्वारा किसी भी सार्वजनिक संबोधन का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही कहा कि कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए रमज़ान के दौरान दावत-ए-सहरी या इफ़्तार की कोई व्यवस्था नहीं की जाएगी।;

Update: 2020-04-16 09:47 GMT

दिल्ली में गुरुवार को केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए 30 राज्यों के वक्फ बोर्ड के साथ बैठक की है। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 24 अप्रैल 2020 से रमज़ान का महीना शुरू हो रहा है। इस महीने में लोग लॉकडाउन के दिशानिर्देशों, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, इसको लेकर चर्चा हुई।

राज्य अल्पसंख्यक कल्याण, वक्फ और हज विभाग मंत्री ने कहा कि COVID19 को देखते हुए पूरे कर्नाटक में रमज़ान के दौरान मस्जिदों में 5 बार की सामूहिक इबादत करने की अनुमति जनता को नहीं दी जाएगी।

नमाज़ अदा करने के लिए मस्जिदों के कर्मचारियों द्वारा किसी भी सार्वजनिक संबोधन का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही कहा कि कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए रमज़ान के दौरान दावत-ए-सहरी या इफ़्तार की कोई व्यवस्था नहीं की जाएगी।

अशरा अरबी का 10 नंबर होता

बता दें कि इस्लाम धर्म में रमजान को सबसे पवित्र महीना माना जाता है, जिसमें चांद की तारीख के हिसाब से 30 या 29 रोजे रखे जाते हैं। पूरे रमजान को तीन हिस्सो (अशरे) में बांटा गया है, जिसका अलग- अलग महत्व है। अशरा अरबी का 10 नंबर होता है।

रमजान के पूरे महीने में तीन अशरे होते हैं, पहले 10 दिन (1-10) में पहला अशरा, दूसरे 10 दिन (11-20) में दूसरा अशरा और तीसरे दिन (21-30) में तीसरा अशरा बंटा होता है, लेकिन इन तीनों का अलग- अलग महत्व है।

रमजान के महीने को लेकर पैगंबर मोहम्मद साहब ने कहा है कि रमजान की शुरुआत में रहमत है, बीच में मगफिरत यानी माफी है और इसके अंत में जहन्नम की आग से बचाव है।

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