Tirath Singh Rawat Biography: यहां पढ़ें कौन हैं 9वें सीएम तीरथ सिंह रावत, कभी 2 साल तक रहे थे जेल में

पौड़ी गढ़वाल के सांसद तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) उत्तराखंड के नए सीएम बनने जा रहे हैं। आइए यहां जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ अहम बातें।;

Update: 2021-03-10 08:36 GMT

Tirath Singh Rawat Biography: उत्तराखंड (Uttarakhand) में परिवर्तन की लहर ने एक नए सीएम को स्थापित कर दिया। पौड़ी गढ़वाल के सांसद तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) उत्तराखंड के नए सीएम बनने जा रहे हैं। इससे पहले भाजपा से ही त्रिवेंद्र सिंह रावत राज्य के 8वें मुख्यमंत्री थे। केंद्रीय भाजपा नेतृत्व ने हाल ही में मुख्यमंत्री के खिलाफ असंतोष की खबरों के बीच यह फैसला लिया।

तीरथ सिंह रावत जीवन परिचय (Tirath Singh Rawat Profile)



 


पौड़ी गढ़वाल (Pohri Garhwar) के सांसद तीरथ सिंह रावत को उत्तराखंड भाजपा विधायक दल के नेता के रूप में चुना गया है। जो राज्य के नए मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। उनके नाम की घोषणा निवर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विधायक दल की बैठक के बाद की। तीरथ सिंह रावत का जन्म 9 अप्रैल 1964 में पौड़ी गढ़वाल के सीरों में हुआ था। 56 साल के तीरथ सिंह रावत गढ़वाल से सांसद हैं। उनके पिता नाम का कलम सिंह रावत है और मां का नाम गौरा देवी हैं, जो उत्तराखंड में ही रहेत हैं।



तीरथ सिंह रावत ने सबसे पहले अपने पढ़ाई हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविधालय से की है। यहां से उन्होंने बैचलर ऑफ आर्ट्स (बी.ए) से ग्रेजुएशन की और उसके बाद श्रीनगर गढ़वाल के बिरजा कॉलेज से आगे की पढ़ाई की। वो सिर्फ 20 साल की उम्र में ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक बन गए। अपना राजनीतिक करियर शुरू करने वाले तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड के अलग होने से पहले 1997 से 2002 तक यूपी विधान परिषद के सदस्य रहे और फिर नया राज्य उत्तराखंड बनने के बाद - 2000 से 2002 तक उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री भी रहे। इसके बाद उन्होंने साल 2012 से 2017 तक विधायक रहे। इसी दौरान तीरथ 2013 से 2015 तक उत्तराखंड बीजेपी के अध्यक्ष रहे। चौबट्टाखाल निर्वाचन क्षेत्र से विधायक रहे।



आरएसएस और एबीवीपी से रहा संपर्क

पढ़ाई के दौरान ही तीरथ सिंह रावत राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए थे और छात्र नेता के रूप में एबीवीपी से जुड़ गए। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (उत्तराखण्ड) के संगठन मंत्री और राष्ट्रीय मंत्री के पद पर रहे। उन्होंने महज 20 साल की उम्र में ही आरएसएस के लिए प्रांत प्रचारक बन गए। 90 के दशक में रामजन्मभूमि आंदोलन में अहम भूमिका निभाई और साथ ही 2 साल तक जेल में भी रहे। 

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