UCC के विरोध में उतरा झारखंड का आदिवासी समाज, पंजाब में SGPC भी विरोध में

समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को लेकर चल रहे विरोध की कड़ी में मुसलमानों के बाद आदिवासी और सिख समाज भी मैदान में उतर आया है। झारखंड (Jharkhand) से लेकर पूर्वोत्तर (North East) तक आदिवासी संगठनों ने इस कानून को लेकर विरोध-प्रदर्शन की बात कही है। इसके अलावा सिखाें की सबसे बड़ी संस्था शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (SGPC) ने भी यूसीसी को लेकर ऐतराज जताया है। पढ़ें पूरी खबर...;

Update: 2023-06-30 10:28 GMT

Uniform Civil Code: देश में समान नागरिक संहिता (UCC) का विरोध बढ़ता ही जा रहा है। राजनीतिक दलों के नेताओं के बाद अब कुछ सामाजिक संगठन भी इसका विरोध कर रहे हैं। पहले पूरे देश के मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इस कानून का विरोध किया। इसके बाद सिख, ईसाई और आदिवासी भी इसके विरोध में उतर आए हैं। झारखंड (Jharkhand) से लेकर पूर्वोत्तर (North East) तक कई आदिवासी संगठन यूसीसी का विरोध कर रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, झारखंड में 30 से अधिक आदिवासी संगठनों ने समान नागरिक संहिता के विरोध का निर्णय लिया है। इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए उन्होंने एक बैठक की, जिसमें यह फैसला हुआ कि वे विधि आयोग से इस कानून के विचार को वापस लेने की प्रार्थना करेंगे। इन संगठनों का मानना है कि इससे देश में उनकी आदिवासी पहचान खतरे में पड़ सकती है। उन्होंने विधि आयोग द्वारा यूसीसी पर कानून बनाने के विचार के खिलाफ आंदोलन शुरू करने का भी निर्णय लिया है। आदिवासी समन्वय समिति के बैनर तले इकट्ठा हुए आदिवासी संगठनों ने इस बात को लेकर गहरा संदेह व्यक्त किया है और कहा है कि यूसीसी कई जनजातीय कानूनों और अधिकारों को कमजोर कर सकता है।

आदिवासियों की पहचान खतरे में पड़ सकती है: देव कुमार धान

आदिवासी समन्वय समिति के सदस्य देव कुमार धान ने बताया कि बैठक में हमने विधि आयोग को पत्र लिखकर समान नागरिक संहिता का विचार वापस लेने का आग्रह किया है, क्योंकि इससे पूरे भारत में आदिवासी समुदाय की पहचान खतरे में पड़ सकती है। आदिवासी निकाय 5 जुलाई को झारखंड की राजधानी रांची स्थित राजभवन के पास यूसीसी के खिलाफ प्रदर्शन करेगा और राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपेगा। धान ने आगे कहा कि यूसीसी के लागू होने से छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम, संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम, पेसा कानून, पांचवीं अनुसूची क्षेत्र के नियम, आदिवासियों के विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेने और संपत्ति का उत्तराधिकार कानून पर काफी बुरा प्रभाव पड़ेगा। यदि उनकी मांग पर विचार नहीं किया गया तो पूरे हिंदुस्तान के आदिवासी दिल्ली में भी प्रदर्शन करेंगे। आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेम मुंडा ने कहा कि वे ऐसे किसी भी कानून को लागू नहीं होने देंगे, जो आदिवासियों से जमीन छीन ले।

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गृहमंत्री अमित शाह से मिलेगी एसजीपीसी

पंजाब में सिखों की सबसे बड़ी संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने भी यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर अपना विरोध जताया है। संस्था के प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि एसजीपीसी पहले ही सिखों के धार्मिक मामलों में राज्य सरकार के हस्तक्षेप का विरोध करते हुए एक प्रस्ताव पारित कर चुकी है। इस मुद्दे को लेकर हम गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) से मिलेंगे। 

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