Union Budget 2019 : पीएम मोदी से घरेलू महिलाएं, मनरेगा मजदूर और किसानों को ऐसे बजट की उम्मीद

चुनाव के ठीक बाद जब भी बजट पेश हुए हैं तब-तब सत्तारूढ़ पार्टी के घोषणापत्र की बहुत सारी योजनाएं जमीन पर उतर जाती हैं। इस सरकार से भी यही उम्मीद की जा रही है। पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने अपने पहले बजट पेश करने से पहले लगातार विशेषज्ञों के साथ बैठक कर रही हैं लोगों के द्वारा दी जा रही राय को बारीकी से सुन रही हैं।;

Update: 2019-06-17 11:35 GMT

Budget 2019 : लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करने वाली भाजपा सरकार 5 जुलाई को अपने नए कार्यकाल का पहला बजट (Union Budget 2019) पेश करेगी। चुनाव के ठीक बाद जब भी बजट पेश हुए हैं तब-तब सत्तारूढ़ पार्टी के घोषणापत्र की बहुत सारी योजनाएं जमीन पर उतर जाती हैं। इस सरकार से भी यही उम्मीद की जा रही है। पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने अपने पहले बजट पेश करने से पहले लगातार विशेषज्ञों के साथ बैठक कर रही हैं लोगों के द्वारा दी जा रही राय को बारीकी से सुन रही हैं। अब उसपर कितना अमल कर रही हैं, क्या-क्या बजट में शामिल किया जाता है किसे खुशी और किसे नाराज किया जाएगा ये सब 5 जुलाई को ही पता चल पाएगा। फिलहाल देश की जनता को बजट से काफी उम्मीदें हैं वह भरोसे के साथ बजट का इंतजार कर रहा है...

आधी आबादी को आस

फरवरी में सरकार द्वारा लाए गए अंतरिम बजट में नौकरीपेशा महिलाओं के लिए तो तमाम सुविधाएं दी गई, उन्हें 26 सप्ताह का मातृत्व अवकाश की बड़ी सौगात मिली। पर इन सबके बीच घरेलू महिलाओं को नजरअंदाज कर दिया गया। उनके हाथ कुछ नहीं आया। हर बार की तरह इसबार फिर से वह उम्मीद भरी निगाहों से बजट को देख रही हैं। गरीब परिवारों की महिलाओं को धुंए से मुक्ति दिलाने के लिए दिए गए गैस चूल्हे के बाद महिलाओं की उम्मीदें सरकार से बढ़ गई है।

किसान को उम्मीद

अंतरिम बजट में सरकार ने दो हेक्टेयर तक भूमि वाले छोटे किसानों को 500 रुपया महीना यानी साल का 6000 रुपए देने का फैसला किया। फिलहाल अब ये योजना देश के सभी 16 करोड़ किसानो के लिए बना दी गई है। किसानों ने इस योजना की दिल खोलकर तारीफ की है पर उन्हें 500 की राशि कम लग रही है। उन्हें उम्मीद है कि सरकार इसबार 500 मासिक को 1000 में बदल देगी। सरकार ने दावा किया था कि 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का इसलिए लोगों का मोदी सरकार से उम्मीद लगाना स्वाभाविक है। साथ ही वृद्ध किसान सरकार से पेंशन व्यवस्था की उम्मीद लगाए बैठें हैं।

श्रमिक संगठन

गांव से बाहर किसी दूसरे राज्य में कमाने के लिए जाने को मजबूर मजदूरों की उम्मीदें भी इस बजट से हैं। उन्हें महात्मा गांधी रोजगार गांरटी योजना के तहत 200 दिन काम मिलने की उम्मीद है। साथ ही न्यूनतम मजदूरी में भी इजाफा चाहते हैं। बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में 220 रुपए के आसपास मजदूरी है वहीं केरल, हरियाणा और कर्नाटक में इन राज्यों से करीब 60-70 रुपए मजदूरी ज्यादा है। मजदूरो की एक शिकायत यह भी है कि उन्हें साल में तय 150 दिन काम नहीं मिलते जिसकी वजह से उन्हें गांव छोड़कर बाहर जाना होता है। सरकार के बजट से उन्हें विशेष उम्मीदे हैं। 

नौकरीपेशा वालों की उम्मीदें

सरकार ने जब टैक्स की सीमा 2.50 लाख से बढ़ाकर 5 लाख की थी तो लोगों के अन्दर उम्मीद जग गई कि अगले बजट सत्र में यह सीमा 8 से 10 लाख तक पहुंचाई जा सकती है। मतलब ये कि जिनकी सैलरी सलाना 8 लाख या इससे कम होगी उन्हें किसी तरह का टैक्स नहीं देना होगा। देश के कई हिस्सों में अलग-अलग सरकारी विभागों के कर्मचारियों ने बैठके करके सरकार से टैक्स छूट की सीमा 8 लाख करने की मांग की है। पुराने आंकड़ों और सरकार पर बढ़ते टैक्स दबाव के बीच कम ही उम्मीद है कि सरकार इस साल इसमें किसी तरह का परिवर्तन करे। 

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