उन्नाव कांड : पीड़िता कहती रही कि वह 'जीना चाहती है' पर नियति को ये मंजूर नहीं था

शुक्रवार देर रात दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में गैंगरेप पीड़िता की दर्दनाक मौत हो गई। वह हॉस्पिटल सुप्रीडेंट व अपने भाई से कहती रही कि 'मैं बच तो जाऊंगी न, मैं मरना नहीं चाहती' पर उसे बचाया नहीं जा सका।;

Update: 2019-12-06 23:43 GMT

उन्नाव गैंगरेप पीड़िता की शुक्रवार देर रात सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई। डॉक्टरों ने बचाने की बहुत कोशिश की पर 95 फीसदी जल जाने के बाद उसे बचा पाने के सारे प्रयास असफल रहे और वह बेहद दर्दनाक तरीके से इस दुनिया को अलविदा कह दी। पीड़िता के आखिरी शब्द हर संवेदनशील इंसान का सीना चीर रहा है। वह मरना नहीं चाहती थी, जीना चाहती थी पर ऐसा न हो सका।

गुरुवार शाम को जब पीड़िता को लखनऊ से सफदरजंग अस्पताल में भर्ती करवाया गया तो वह होश में थी। दर्द से कराहते हुए वह अपने भाई से पूछ रही थी कि 'मैं बच तो जाऊंगी न, मैं मरना नहीं चाहती' पीड़िता अपने भाई से यही बात बार बार दोहराती रही, उसने बाद में कहा कि उसके गुनहगारों को मत छोड़ना। मत छोड़ना भइया। इसके बाद वह कुछ नहीं बोल सकी। भाई किसी तरह खुद के आंसू रोके रहा पर बाहर आते ही उसका सब्र जवाब दे गया और उसकी आंखो से आंसुओं का सैलाब छूट गया।

पीड़िता की बड़ी बहन अपनी मां के साथ शुक्रवार दोपहर लखनऊ से सफदरजंग अस्पताल पहुंची। वह वार्ड में गई तो हालत देखकर अपने आंसू नहीं रोक पाई। उसने किसी तरह अपने को संभालते हुए उसके शरीर पर दवा लगाई। वह कुछ नहीं बोल रही थी। किसी से कुछ भी बात नहीं कर रही थी। पीड़िता बहन को देखकर बस रोने लगी। हालत इस कदर खराब थे कि उसकी आवाज भी नहीं निकल रही थी।


अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉक्टर सुनील जितनी बार पीड़िता के पास गए पीड़िता कराहते हुए आवाज में उनसे बस एक ही सवाल पूछे 'मैं बच तो जाउंगी न, मैं मरना नहीं चाहती' उसके इन सवालों का डॉक्टर सुनील के पास कोई जवाब नहीं था। वह हां हां में जवाब दे देते पर उन्हें पता था कि पीड़िता की जो हालत है उससे बाहर निकाल पाना बेहद मुश्किल है, और आखिर में यही मुश्किल नामुमकिन साबित हुई और पीड़िता की दर्दनाक मौत हो गई।

जानकारी के लिए बता दें कि बृहस्पतिवार सुबह अदालत के लिए निकलते वक्त गैंगरेप पीड़िता को पांचों आरोपियों ने घेर लिया। उसपर पेट्रोल डाला और आग लगा दी। पीड़िता आग की लपटों में घिरी खुद को बचाने के लिए एक किलो मीटर तक बचाओ बचाओ कहते हुए भागती रही। एक व्यक्ति मिला और उससे मोबाइल लेकर 100 नंबर पर कॉल किया और अचेत होकर गिर पड़ी। पुलिस पहुंची और उसे स्थानीय अस्पताल ले जाया गया।

स्थानीय डॉक्टरों ने तुरंत लखनऊ ट्रांसफर किया वहां भी प्राथमिक इलाज के बाद पीड़िता को दिल्ली के सफदरजंग के लिए एयरलिफ्ट किया गया। पीड़िता मौत से लड़ने की कोशिश करती रही लेकिन आखिर में आरोपियों की जीत हो गई। प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने मामले को संज्ञान में लेकर आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने की बात कह चुके हैं। पर असल सवाल अभी भी जिंदा है कि लगातार जलाई जा रही बेटियां कैसे सुरक्षित हो?

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