विजय गोयल की मांग, 'Delhi' का नाम बदलकर 'Dilli' किया जाए, इतिहासकार ने दी तिखी प्रतिक्रिया
राज्यसभा सांसद विजय गोयल ने बुधवार को 'Delhi' की स्पेलिंग बदलकर ‘Dilli’ करने की मांग की है। रिपोर्ट्स के मुातबिक विजय गोयल ने कहा कि उन्हेंने यह मुद्दा सदन में प्रश्न काल के दौरान उठाया, जिसके बारे में जूनियर गृह मामलों के मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि सरकार इस संबंध में एक प्रस्ताव प्राप्त करने पर विचार करेगी।;
राज्यसभा सांसद विजय गोयल ने बुधवार को 'Delhi' की स्पेलिंग बदलकर 'Dilli' करने की मांग की है। रिपोर्ट्स के मुातबिक विजय गोयल ने कहा कि उन्हेंने यह मुद्दा सदन में प्रश्न काल के दौरान उठाया, जिसके बारे में जूनियर गृह मामलों के मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि सरकार इस संबंध में एक प्रस्ताव प्राप्त करने पर विचार करेगी।
विजय गोयल ने कहा कि कई लोग वैसे भी नाम को लेकर असमंजस में हैं क्योंकि कुछ लोग इसे दिल्ली (Delhi) कहते हैं जबकि कुछ लोग इसे दिली (Dilli) कहते हैं। पहले इंद्रप्रस्थ या हस्तिनापुर शहर का नाम बदलने की मांग उठाई गई थी, लेकिन अगर दिल्ली नाम बने रहना है तो कम से कम सही ढंग से लिखा जाना चाहिए।
TOI की खबर के मुताबिक, पौराणिक इंद्रप्रस्थ के अलावा, पांडवों की राजधानी जिसे अक्सर दिल्ली के साथ पहचाना जाता है, दिल्ली की कई अलग-अलग राजधानी शहर हैं। इन्हें किला राय पिथौरा, सिरी, तुगलकाबाद-आदिलाबाद, फिरोजाबाद, दीनपनाह, शाहजहानाबाद और नई दिल्ली कहा जाता है।
गोयल ने तर्क दिया कि कई भारतीय शहरों का आधिकारिक तौर पर नाम बदल दिया गया है, जैसे कोच्चि, गुवाहाटी, मुंबई, इंदौर, पुणे, वाराणसी और कोलकाता। गोयल ने कहा कि कुछ ऐसे नाम भी हैं जिनकी वर्तनी (स्पेलिंग) ठीक हो गई थी। इसलिए कॉनपोर कानपुर बन गया, मोंघियर मुंगेर बन गया, और उड़ीसा ओडिशा बन गया।
सांसद ने यह भी कहा कि दिल्ली की व्युत्पत्ति अनिश्चित है, लोकप्रिय मान्यता कहती है कि दिल्ली का नाम मौर्य वंश के राजा राजा दिल्लू से उत्पन्न हुआ था, जिन्होंने पहली शताब्दी ईसा पूर्व में खुद के नाम पर शहर का नाम रखा था।
लेकिन इतिहासकार राणा सफ़्वी अलग हैं। विजय गोयल के नाम बदलने वाले बयान पर उन्होंने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि किसी भी नाम परिवर्तन के लिए बहुत अधिक पैसी की जरूरत होती है। विजय गोयल को चांदनी चौक के अपने पूर्व निर्वाचन क्षेत्र को देखने की जरूरत है।
वहां की भीड़, खराब सड़कें, लटकती हुई तारें, यह सब दर्शकों पर एक भयानक छाप छोड़ती हैं। क्या उन्हें बुनियादी ढांचे में सुधार की बात नहीं करनी चाहिए? दिल्ली के नाम को बदलने में जो पैसा जाएगा, उसका उपयोग नागरिक सुविधाओं को बेहतर बनाने में किया जा सकता है। इतिहासकार राणा सफ़्वी को दिल्ली के लिए हस्तिनापुर का सुझाव भी अजीब लगा।
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