बागी नेताओं को पार्टी में लेने के मूड में नहीं हैं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जानें क्या है कारण

जानकारी के लिए आपको बता दें कि बीते दिनों सोनाली गुहा ने बीजेपी में शामिल होने को अपनी गलती माना था। सोनाली गुहा ने ममता बनर्जी को दीदी को ओपन लेटर लिखते हुए कहा था कि जिस तरह एक मछली पानी से बाहर नहीं रह सकती है, मैं तुम्हारे बिना नहीं रह पाऊंगी दीदी।;

Update: 2021-06-09 09:20 GMT

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने से पहले तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं ने पार्टी का दामन छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया था। टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए कई नेता अब फिर से घर वापसी करना चाहते हैं। लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी धोखेबाज नेताओं को पार्टी में वापस लेने के मूड में नहीं दिख रही हैं। इस प्रवृत्ति की शुरुआत चार बार की विधायक सोनाली गुहा ने की थी, जो कभी ममता बनर्जी की बहुत ज्यादा करीबी मानी जाती थीं।

जानकारी के लिए आपको बता दें कि बीते दिनों सोनाली गुहा ने बीजेपी में शामिल होने को अपनी गलती माना था। सोनाली गुहा ने ममता बनर्जी को दीदी को ओपन लेटर लिखते हुए कहा था कि जिस तरह एक मछली पानी से बाहर नहीं रह सकती है, मैं तुम्हारे बिना नहीं रह पाऊंगी दीदी। मैं आपके माफी मांगती हूं और मुझे पार्टी में वापस आने की अनुमति दें। मैं अपना बाकी जीवन आपके स्नेह की छाया में बीताना चाहती हूं। सोनाली गुहा के बाद दीपेंदु विश्वास, मुकुल रॉय और घर वापसी की रेस में सबसे नया नाम मुकुल रॉय का लगता है।

भारतीय जनता पार्टी के सूत्रों का दावा है कि वह टीएमसी में वापस जा रहे हैं। मुकुल रॉय के साथ ही टीएमसी में वापसी की इच्छा रखने वाले एक और नेता पूर्व मंत्री राजीब बनर्जी नाम भी सामने आ रहा है। बता दें कि राजीब बनर्जी और मुकुल रॉय चुनाव के बाद की हिंसा को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेतृत्व की मीटिंग में भी शामिल नहीं हुए थे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बागी नेताओं की पार्टी में वापसी को लेकर ​​तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा कि इसका फैसला पार्टी अध्यक्ष यानी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लेंगी।

सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी फिलहाल इन नेताओं की दोबारा वापसी को लेकर किसी जल्दी में नहीं हैं। वहीं पार्टी के भीतरी सूत्रों का कहना है कि बुरे वक्त में पार्टी का साथ छोड़कर जाने वाले नेताओं पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। ऐसे नेताओं की पार्टी में वापसी होगी तो टीएमसी की छवि धूमिल हो सकती है। 

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