क्या है एनपीआर, अगले हफ्ते लग सकती है कैबिनेट की मुहर

नागरिकता कानून और एनआरसी पर देशभर में मचे घमासान के बीच केंद्र सरकार एनपीआर की ओर कदम बढ़ा रही है।;

Update: 2019-12-21 08:15 GMT

नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी पर देशभर में मचे घमासान के बीच केंद्र सरकार नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) की ओर कदम बढ़ा रही है। सूत्रों के मुताबिक अगले हफ्ते मंगलवार को होने वाली कैबिनेट मीटिंग में नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) पर मुहर लग सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसके लिए कैबिनेट से 3,941 करोड़ रुपए की मांग भी की है।

नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) का उद्देश्य

बता दें कि नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर का उद्देश्य भारत के सामान्य निवासियों का व्यापक पहचान डेटाबेस बनाना है। इस व्यापक पहचान डेटाबेस में जनसांख्यिंकी के साथ बायोमेट्रिक जानकारी भी होगी। वहीं पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी सीएए और एनआरसी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। उन्हें बंगाल में नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर पर हो रहे कार्य को भी रोक दिया है। केरल की लेफ्ट सरकार ने भी राज्य में एनआरपी के सभी कार्यों को रोकने का आदेश दिया है।

क्या है एनपीआर

बता दें कि नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनआरपी) भारत में निवास करने वाले सभी सामान्य निवासियों का दस्तावेज है। नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों के तहत दस्तावेज स्थानीय, उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है। बताया गया है कि यदि कोई व्यक्ति छह महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय इलाके में रह रहा है तो उसे एनपीआर में अपना पंजीकरण कराना आवश्यक है। भारत के नागरिकों की पहचान का डेटाबेस जमा करने के लिए सरकार ने साल 2010 इसकी शुरुआत की थी। सरकार ने 2016 में इसे जारी किया गया है। 

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