Chandrayaan-3: क्या चंद्रयान-3 चांद से धरती पर लौटेगा, जानें 14 दिन बाद विक्रम और प्रज्ञान काम करेंगे या नहीं!

Chandrayaan-3 Mission: चंद्रयान-3 ने चांद की सतह पर बुधवार को सफल लैंडिग की है। इसके बाद विक्रम लैंडर के अंदर मौजूद प्रज्ञान रोवर भी बाहर निकलकर आ गया है। वह इसरो को चांद की सतह से जुड़ी जानकारी भेजगा। हालांकि, सभी के जहन में एक सवाल यह है कि 14 दिन बाद चंद्रयान-3 मिशन का क्या होगा। यहां जानें...;

Update: 2023-08-24 04:10 GMT

Chandrayaan-3 Mission: चंद्रयान 3 ने 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की और विक्रम लैंडर के अंदर मौजूद प्रज्ञान रोवर के बाहर निकलने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। अब 14 दिनों तक, जो एक चंद्र दिवस के बराबर है, प्रज्ञान चांद की सतह पर नए-नए प्रयोग करेगा। रोवर डेटा को लैंडर को भेजेगा जो इसे पृथ्वी पर इसरो को भेजेगा। वहीं सभी लोगों के मन में एक ही सवाल है कि आखिर 14 दिनों के बाद चंद्रयान-3 मिशन का क्या होगा और विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर पृथ्वी पर लौटेगा या नहीं।

14 दिन बाद चंद्रयान 3 का क्या होगा

14 दिनों के बाद चंद्रमा पर रात हो जाएगी जो कि 14 दिनों तक रहेगी। चांद पर ज्यादा ठंडा मौसम हो जाएगा। क्योंकि विक्रम लैंडर (Vikram Lander) और प्रज्ञान रोवर (Pragyan Rover) केवल धूप में ही काम कर सकते हैं, इसलिए वे 14 दिनों के बाद काम नहीं करेंगे। साथ ही, लैंडर और रोवर दोनों को 14 दिनों तक चलने के लिए डिजाइन किया गया है। हालांकि, इसरो वैज्ञानिकों ने चांद पर फिर से सूरज उगने पर विक्रम और प्रज्ञान के वापस काम करने की संभावना से भी इनकार नहीं किया है। ऐसे में यह भारत के चंद्रयान-3 मिशन के लिए बोनस के रूप में साबित होगा। चंद्रयान-3 वापस धरती पर नहीं आएगा। साथ ही, विक्रम और प्रज्ञान भी चांद पर ही रहेंगे।

क्या करेगा प्रज्ञान रोवर

चंद्रयान 3 (Chandrayaan-3) का कुल वजन 3,900 किलोग्राम है। प्रोपल्शन मॉड्यूल का वजन 2,148 किलोग्राम है और लैंडर मॉड्यूल का वजन 1,752 किलोग्राम है जिसमें 26 किलोग्राम का रोवर भी शामिल है। प्रज्ञान चंद्रमा की सतह की रासायनिक संरचना की जांच करेगा, चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानों की जांच करेगा। यह ध्रुवीय क्षेत्र के पास चंद्रमा की सतह के आयनों और इलेक्ट्रॉनों के घनत्व और थर्मल गुणों को भी मापने का कार्य करेगा। यह अपनी तरह का पहला होगा क्योंकि किसी भी अन्य देश ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जाने का साहस नहीं किया है।

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