World Blood Donor Day 2019 : जानें कब है वर्ल्ड ब्लड डोनर डे 2019 और विश्व रक्तदान दिवस पर निबंध
जब सबसे बड़ा पुण्य का नाम आता है तो हमारा ध्यान पर एक ही चीज पर जाकर अटक जाता है वह है किसी को खून देना, मतलब रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं होता। दुनियाभर में 14 जून को रक्तदाता दिवस (World Blood Donor Day) मनाया जाता है।;
World Blood Donor Day 2019 : वर्ल्ड ब्लड डोनर डे 2019 में कब है अगर आपको नहीं पता तो बता दें कि दुनियाभर में 14 जून (14 June) को रक्तदाता दिवस 2019 (World Blood Donor Day 2019) मनाया जाता है। किसी को पैसा देना, किसी के लिए कपड़ा खरीद देना, किसी जरूरतमंद को खाना खिला देना एक तरह से बड़ा ही पुण्य का काम है पर जब सबसे बड़ा पुण्य का नाम आता है तो हमारा ध्यान पर एक ही चीज पर जाकर अटक जाता है वह है किसी को खून देना, मतलब रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं होता।
रक्तदाता दिवस शरीर विज्ञान में नोबल पुरस्कार प्राप्त प्रसिद्ध वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन (Carl Landstein) की याद में पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करना है। लोगों के मन में रक्तदान के लिए भरी भ्रांतियां दूर करना है। इस दिन दुनियाभर कैंप लगाकर लोगों को जागरुक किया जाता है साथ ही लोग रक्त दान भी करते हैं।
19वीं शताब्दी में किसी का भी खून किसी को भी चढ़ा दिया जाता था क्योंकि ब्लड ग्रुप जैसी बात लोगों को पता ही नहीं थी। 1868 में जन्में कार्ल लैंडस्टाईन ने मानव रक्त में उपस्थित एग्ल्युटिनिन की मौजूदगी के आधार पर रक्तकणों का ए, बी, और ओ समूह में वर्गीकरण किया। उन्होंने लोगों को बताया कि उसी का मरीज और रक्तदाता का ब्लड ग्रुप एक हो तभी खून चढ़ाया जा सकता है।
रक्त को लेकर उनके बाद के कई वैज्ञानिक लगातार शोध करते रहे। रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए 1997 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सौ फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान की शुरुआत की। 124 देशों के प्रतिनिधियों ने इस कार्यक्रम में शामिल होकर स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए आगे आए। इस कार्यक्रम का उद्देश्य था कि किसी मरीज को पैसे देकर रक्त न लेना पड़े।
भारत में भी तमाम संस्थाएं हैं जो स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देती हैं। लेकिन देश में अभी पूरी तरह से स्वैच्छित रक्तदान को अमलीजामा पहनाया जाना बाकी है। आज भी देश में रक्त के लेन देन के लिए पैसो का जमकर प्रयोग होता है। कालाबाजारी का आलम ये है कि ब्लड बैंको के बाहर बड़ी संख्या में दलाल होते हैं जो पैसे लेकर जरूरतमंदो को रक्त मुहैया कराते हैं।
एक रिसर्च के मुताबिक भारत में रक्त की आवश्यकता का 75 प्रतिशत ही उपलब्ध हो पाता है। वहीं पड़ोसी देश नेपाल में ये आंकड़ा 90 फीसदी है। श्रीलंका में 60 फीसदी, थाईलैंड में 95 फीसदी, इंडोनेशिया में 77 फीसदी और म्यांमार में आवश्यकता के कुल 60 फीसदी रक्त की पूर्ति हो जाती है। भारत का पंजाब प्रांत रक्तदान के मुकाबले काफी आगे है।
यहां के कई शहरों में अक्सर रक्तदान के लिए कैंप लगाए जाते हैं जहां लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। स्वास्थ्य विभाग को जहां लोगों को रक्तदान के लिए और अधिक जागरुक करने की जरूरत है तो वहीं लोगों को भी आगे आने की जरूरत है ताकि लोगों की जान खून की कमी से न जाए। हरिभूमि मीडिया ग्रुप आपसे रक्तदान की अपील करता है।
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