नाथूराम गोडसे का अंतिम बयान, मैंने गांधी को क्यों मारा, जानें
भारत देश की आजादी के महानायक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर हत्या कर दी थी। नाथूराम गोड़से ने गांधी के करीब से उन्हें तीन गोली मारीं थी। जिस वहज से गांधी का निधन हो गया था।;
भारत देश की आजादी के महानायक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर हत्या कर दी थी। नाथूराम गोड़से ने गांधी के करीब से उन्हें तीन गोली मारीं थी। जिस वहज से गांधी का निधन हो गया था। महात्मा गांधी की हत्या के जुर्म में नाथूराम गोड़से को 15 नवंबर 1949 को अंबाला जेल में फांसी दी गई थी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कल यानी 30 जनवरी 2019 को पुण्यतिथि (Mahatma Gandhi Death Anniversary) है। नाथूराम गोडसे हिंदू राष्ट्रवाद का कट्टर समर्थक था। नाथूराम गोडसे ने अदालत में आजादी के महानायक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या की वजह भी बताई थी। आइए जानते हैं कि नाथूराम गोडसे कौन था और क्यों कि थी गांधी जी की हत्या?...
नाथूराम गोडसे ने क्यों की थी गांधी जी की हत्या!
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देश की आजादी के बाद नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की तीन गोलियां मारकर हत्या कर दी थी। देश की आजादी में महात्मा गांधी का बहुत बड़ा योगदान था।
लेकिन लोगों के मन में आज भी यह सवाल उत्पन्न होता है कि आखिर महात्मा गांधी को नाथूराम गोडसे ने क्यों मारा था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नाथूराम गोडसे महात्मा गांधी की हत्या में अकेले शामिल नहीं थे। उनके अलावा इसमें पांच लोग और शामिल थे।
गांधी जी की हत्या के सिलसिले में दिल्ली के लाल किले में चले मुकदमे में जज आत्मचरण की कोर्ट ने नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को फांसी की सज़ा सुनाई थी।
इसके अलावा वाकि के लोगों को पांच लोगों मदनलाल पाहवा, शंकर किस्तैया, विष्णु करकरे, गोपाल गोडसे और दत्तारिह परचुरे को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने शंकर किस्तैया और दत्तारिह परचुरे को हत्या के आरोप से बरी कर दिया था।
बताया जाता है कोर्ट में चल रहे ट्रायल के दौरान नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की बात को स्वीकार किया था। नाथूराम गोडसे ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए गांधी जी की हत्या की वजह भी बताई।
नाथूराम गोडसे ने कोर्ट में कहा था कि गांधी जी पर गोली चलाने से पहले मैं उनके सम्मान में इसीलिए नतमस्तक हुआ था कि उन्होंने देश की सेवा की थी। इसी वहज से मैं उसका आदर करता था।
लेकिन लोगों को धोखा देकर पूज्य मातृभूमि के बंटवारे का अधिकार किसी बड़े से बड़े महात्मा को भी नहीं है। गांधी जी ने देश को छल करके उसके कर दिए। ऐसा कोई न्यायालय या कानून नहीं था, जिसके आधार पर ऐसे अपराधी को दंड दिया जा सकता, इसीलिए मैंने गांधी जी को गोली मारी थी।
नाथूराम गोडसे कौन था
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नाथुराम विनायक गोडसे / नाथुराम गोडसे का जन्म 19 मई 1910 को महाराष्ट्र राज्य में पुणे के निकट बारामती नमक स्थान पर चित्तपावन मराठी परिवार में हुआ था।नाथुराम गोडसे के पिता का नाम विनायक वामनराव गोडसे था और वे पोस्ट आफिस में काम करते थे और माता लक्ष्मी गोडसे एक गृहणी थीं।
नाथुराम गोडसे एक कट्टर हिन्दू राष्ट्रवादी समर्थक थे, जिसने 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली में महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। नाथुराम गोडसे हाई स्कूल (दसवीं) की पढ़ाई बीच में छोड़कर स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए थे। बताया जाता है कि नाथुराम गोडसे अपने भाइयों के साथ राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से भी जुड़ा था।
इसके बाद नाथुराम गोडसे ने 'हिंदू राष्ट्रीय दल' के नाम से अपना संगठन बनाया था। इस संगठन का मकसद स्वतंत्रता के लिए लड़ना था। नाथुराम गोडसे ने 'हिंदू राष्ट्र' के नाम से अपना एक समाचार पत्र भी निकाला था। क्योंकि नाथुराम गोडसे लिखने में अधिक रुचि रखते थे।
नाथुराम गोडसे ने धार्मिक पुस्तकों में अधिक रुचि रखते थे। उन्होंने रामायण, महाभारत, गीता, पुराणों के अतिरिक्त स्वामी विवेकानन्द, स्वामी दयानन्द, बाल गंगाधर तिलक तथा महात्मा गांधी के साहित्य का इन्होंने गहरा अध्ययन किया था।
नाथुराम गोडसे का राजनैतिक जीवन
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नाथुराम गोडसे का अपने राजनैतिक जीवन के प्रारम्भिक दिनों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हो गया। साल 1930 के अंत में उन्होंने आरएसएस को छोड़ दिया। इसके बाद गोडसे अखिल भारतीय हिन्दू महासभा में शामिल हो गए।
नाथुराम गोडसे ने 2 समाचार-पत्र अग्रणी और हिन्दू राष्ट्र नामक का सम्पादन भी किया था। नाथुराम गोडसे ने शुरूआत में मोहनदास करमचंद गांधी (महात्मा गांधी) का समर्थन किया लेकिन बाद में गांधी जी के द्वारा लगातार और बार-बार हिन्दुओं के विरुद्ध भेदभाव पूर्ण नीति अपनाए जाने और मुस्लिम तुष्टीकरण किए जाने के कारण गांधी के प्रबल विरोधी हो गए थे। नाथुराम गोडसे मोहम्मद अली जिन्ना की अलगाववादी विचार-धारा का भी विरोध किया करते थे।
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