कोरोना काल में उद्योगों के साथ ही 70 प्रतिशत स्टार्टअप पर पड़ा बुरा असर, 12 प्रतिशत हुए बंद

कोरोना और लॉकडाउन ने देश की अर्थव्यवस्था कमजोर करने के साथ ही मध्यम, छोट और स्टार्टअप पर हुए प्रभावित;

Update: 2020-07-06 10:19 GMT

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए जहां देश में लॉकडाउन लगने से अर्थव्यवस्था (GDP Slow) धीमी हो गई। इसबीच नौकरी पेशा और छोटे, मध्यम उद्यमों (SME's) के साथ ही स्टार्टअप्स पर बहुत ही बुरा प्रभाव पडा है। इसका दावा फिक्की और इंडियन एंजल नेटवर्क सर्वे रिपोर्ट में किया गया है। जिसके अनुसार, महामारी ने लगभग 70 प्रतिशत स्टार्टअप के कारोबार को प्रभावित किया है। वहीं करीब 12 प्रतिशत स्टार्टअप बंद हो गये हैं। इसबीच एमएसएमई समेत तमाम स्टार्टअप संचालक उन्हें चलाने के जद्दोजहद कर रहे हैं।

दरअसल, भारतीय स्टार्टअप्स पर कोविड-19 के प्रभाव विषय पर एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण किया गया था। इनमें 250 स्टार्टअप (StartUP) को शामिल किया गया। जिसकी रिपोर्ट में सामने आया कि लॉकडाउन के बाद करीब 70 प्रतिशत स्टार्टअप कोरोना से प्रभावित है। इसकी वजह उनकी डिमांड घटन से लेकर व्यापार में तमाम तरह की समस्याओं का आना है। इतना ही नहीं रिपोर्ट की मानें तो कोविड के चलते करीब 12 प्रतिशत स्टार्टअप्स को बंद करना पडा है। इसकी वजह उनका खर्च तक न निकल पाना था। सर्वे की मानें तो अगले 3 से 6 महीनों में निर्धारित लागत खर्च को पूरा करने के लिए केवल 22 प्रतिशत स्टार्टअप संचालकों के पास ही पर्याप्त नगदी है। जबकि 68 प्रतिशत स्टार्टअप संचालक अपने खर्चों में कटौती करने में जुटे हैं। वहीं इनमें 30 से 35 प्रतिशत ऐसे हैं। जिन्होंने कर्मचारियों की छटनी कर अपने कारोबार का खर्च कम किया है। इसके अलावा 43 फीसद स्टार्टअप ने अप्रैल-जून में 20-40 फीसद वेतन कटौती शुरू कर दी है।

लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर स्टार्टअप का निवेश रोका

रिपोर्ट की मानें तो करीब 33 प्रतिशत स्टार्टअप्स ऐसे जिन का (Invest) निवेश निवेशकों ने रोक दिया। ऐसे में उन्हें फंड की समस्या को लेकर जुझना पड रहा है। इतना ही नहीं 10 प्रतिशत का दावा है कि निवेशकों ने करार तोडकर डील कैंसल कर दी है। सर्वेक्षण में सामने आया कि कोविड-19 के फैलने से पहले केवल 8 प्रतिशत स्टार्टअप्स को ही सौदे के अनुसार धनराशि मिली थी। वहीं तत्काल राहत पैकेज की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है। जिसमें सरकार से संभावित खरीद ऑर्डर, कर राहत, अनुदान, आसान ऋण आदि शामिल हैं।

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