दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी Reliance में कर सकती है 15 अरब डॉलर का निवेश, इतने प्रतिशत लेगी हिस्सेदारी
रिलायंस और अरामकों के बीच चल रही बातचीत। 20 प्रतिशत तक की हिस्सेदार बनी सकती है दुनिया की सबसे बड़ी तेल निर्यातक कंपनी।;
दुनिया की सबसे बड़ी तेल निर्यातक कंपनी अरामको, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के रिफाइनिंग और पेट्रो-रसायन कारोबार में 15 अरब डॉलर मूल्य की हिस्सेदारी खरीदने को लेकर सौदे की जांच-परख कर रही है। अरामको के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमीन नासिर ने यह दावा किया है। जिसके अनुसार वह दिग्गज उद्योगपति मुकेश अंबानी ने पिछले साल अगस्त में आरआईएल के तेल से रसायन कारोबार (ओ टू सी) में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी अरामको को बेचने की योजना की घोषणा की थी। इसके लिये उन्होंने उपक्रम का मूल्य 75 अरब डॉलर आंका था। सौदे को मार्च, 2020 तक पूरा होना था, लेकिन इसमें देरी हो रही है।
दरअसल, जून तिमाही के परिणाम को लेकर निवेशकों के साथ बातचीत में कहा कि रिलांयस के साथ सौदे के संदर्भ में इस समय केवल इतना कहा जा सकता है कि जांच परख जारी है। दोनों कंपनियों के बीच बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा कि सौदे को लेकर जारी जांच-परख के आधार पर हम इस बारे में निर्णय करेंगे। निवेशक कॉल में कहा कि दुनिया के सबसे बड़े एक जगह पर स्थित रिफाइनिंग परिसर और भारत की सबसे बड़ी पेट्रो रसायन संपत्ति एक बड़ा सौदा है। इसीलिए, हमें इसकी समीक्षा के लिये समय चाहिए और उसके बाद जांच-परख के अध्ययन के नतीजे के आधार पर हम निर्णय करेंगे। अंबानी ने पिछले महीने रिलायंस इंडस्ट्रीज की सालाना आम बैठक में कहा था कि ऊर्जा बाजार अप्रत्याशित परिस्थिति और कोविड-19 स्थिति के कारण अरामको सौदे में देरी हुई है।
वहीं उन्होंने कहा कि रिलायंस के साथ बातचीत अब भी जारी है और शेयरधारकों को उपयुक्त समय पर इसके बारे में जानकारी दी जाएगी। रिलायंस इंडस्ट्रीज के तेल से रसायन कारोबार में कंपनी की गुजरात के जामनगर में दो रिफाइनरी, पेट्रोरसायन संयंत्र और ईंधन खुदरा उद्यम में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि सौदे में देरी का कारण मूल्यांकन का मुद्दा भी हो सकता है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के पिछले महीने सालाना आम बैठक के बाद बर्नस्टेन ने कहा था कि रिफाइनरी और रसायन कारोबार में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी अरामको को 15 अरब डॉलर में बेचने की योजना कार्यक्रम के अनुसार आगे नहीं बढ़ सकी। इसका कारण बाजार स्थिति में बदलाव हो सकता है। हमारा मानना है कि सौदा अभी भी संभव है लेकिन यह कम मूल्य पर होगा।