कोरोना काल में भारतीय कंपनियों की नीचे जा सकती है रेटिंग, इस एजेंसी ने संभावना के साथ बताई वजह
कंपनियों को रेटिंग देने वाली एसएंडपी ग्लोबल एजेंसी ने किया दावा। 7 में से 2 कंपनियों को बताया अव्यहवार श्रेणी में;
कोरोना वायरस और लॉकडाउन खुलने के बाद देश में ज्यादातर उद्योगिक फैक्ट्रियों की हालत खस्ता हो गई है। इतना ही नहीं देश के अर्थव्यवस्था भी मंदी हो गई है। वहीं अब भारतीय कंपनियों की रेटिंग भी गिर सकती है। इसका दावा रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने किया है। कंपनी का कहना है कि अगर 18 महीनों में कंपनियों की आय में सुधार नहीं होता है तो उनकी साख और घट सकती है।
ग्लोबली तौर पर रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंगस ने कहा कि भारतीय कंपनियों की करीब 35 प्रतिशत क्रेडिट रेटिंग्स का परिदृश्य या तो नकारात्मक है या वह नकारात्मक प्रभाव के साथ 'निगरानी' में है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के साख विश्लेषक नील गोपालकृष्णन का दावा है कि ज्यादातर रेटिंग्स के मामले में हमारा मानना है कि कंपनियों की आय अगले 12 से 18 माह में सुधर जाएगी। यदि यह सुस्ती इससे अधिक लंबी खिंचती है, तो कंपनियों की रेटिंग के और नीचे जाने का जोखिम रहेगा। गोपालकृष्णन ने कहा कि नकारात्मक परिदृश्य और निगरानी वाली सात में से दो कंपनियों की रेटिंग्स अव्यवहार्य ग्रेड श्रेणी में है।
इन कंपनियों की आमदनी को लेकर अधिक उतार-चढ़ाव रहने की आशंका है। ऐसे में इनकी रेटिंग के नीचे जाने का जोखिम और अधिक बढ़ जाता है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि भारतीय कंपनियां साख में कमी को लेकर बेहतर स्थिति में नहीं हैं। इसकी वजह है कि कि इन कंपनियों का पूंजीगत व्यय ऋण वित्तपोषित है। इसके अलावा इन कंपनियों द्वारा पिछले दो-तीन साल में अधिग्रहण किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से कंपनियों की रेटिंग पहले ही नीचे आ रही है। उदाहरण के लिए एकल बी रेटिंग वाली कंपनियों की संख्या 2019 के अंत तक बढ़कर 33 प्रतिशत हो गई, जो 2016 में 13 प्रतिशत थी।