सिर्फ 10 रुपये में घर के कमरे से लेकर बाहर तक हो जाएगा उजाला, ये कंपनी गांवों में जाकर घर-घर फैलाएगी प्रकाश

EESL शुरू करेगी ग्रामीण उजाला कार्यक्रम, गांवों में बांटे जाएंगे 50 करोड़ एलईडी बल्ब;

Update: 2020-07-19 09:56 GMT

सार्वजनिक क्षेत्र की एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लि. (ईईएसएल) ऊर्जा दक्षता को गांवों में ले जाने और बिजली बिल में कमी के जरिये लोगों की बचत बढ़ाने के इरादे से जल्दी ही ग्रामीण उजाला नाम से नया कार्यक्रम शुरू करेगी। ईईएसएल के प्रबंध निदेशक सौरभ कुमार ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इसके तहत गांवों में प्रति परिवार 10 रुपये में तीन से चार एलईडी बल्ब वितरित किये जाएंगे। उन्होंने बताया कि देशभर में करीब 15 करोड़ ग्रामीण परिवार के बीच एलईडी बल्ब का वितरण किया जाएगा।

गांवों में किया जाएगा 50 करोड़ एलईडी बल्बों का वितरण

दरअसल, बिजली मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले उपक्रम एनटीपीसी, पीएफसी, आरईसी और पावरग्रिड की संयुक्त उद्यम कंपनी ईईएसएल की इस योजना में लगभग 50 करोड़ एलईडी बल्ब का वितरण होगा। इससे जहां 12,000 मेगावॉट बिजली की बचत का अनुमान है। वहीं कॉर्बन उत्सर्जन में 5 करोड़ टन सालाना की कमी आएगी। कंपनी अभी उजाला कार्यक्रम के तहत 70 रुपये प्रति बल्ब की दर से 36 करोड़ से अधिक एलईडी बल्ब का वितरण कर चुकी है, लेकिन इसमें से 20 प्रतिशत बल्ब ही ग्रामीण क्षेत्रों में वितरित हो पाये हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कुमार ने कहा कि हम जल्दी ही ग्रामीण उजाला कार्यक्रम शुरू करने जा रहे हैं। अभी इसकी रूपरेखा पर काम जारी है। इसके तहत गांव में प्रति परिवार 10 रुपये मूल्य पर तीन से चार एलईडी बल्ब वितरित किये जाएंगे। इस योजना को चरणबद्ध तरीके से अगले तीन से छह महीने में देश के सभी गांवों में लागू किया जाएगा।

गांव-गांव 3 से 6 माह चलाई जाएगी योजना

जानकारी के अनुसार, यह कार्यक्रम एक या दो नहीं बल्कि अलग अलग गांवों में जाकर 3 से 6 माह के लिए चलाई जाएगी। इस कार्यक्रम में केंद्र या राज्यों से कोई सब्सिडी नहीं ली जाएगी और जो भी खर्च होगा। वह ईईएसएल स्वयं करेगी। वहीं विभाग कॉर्बन ट्रेडिंग के माध्यम से लागत वसूल करेंगे। सुधीर कुमार ने कहा कि हम गांवों में प्रति परिवार अगर तीन एलईडी बल्ब देंगे तो उसके बदले तीन पुराने बल्ब लेंगे। हम उनका संग्रह करेंगे, उसकी निगरानी होगी कि कितने बल्ब आयें और उसमें कितने पुराने हैं। फिर उन्हें नष्ट किया जाएगा। यह सब संयुक्तराष्ट्र जलवायु परिवर्तन पर संयुक्तराष्ट्र मसौदा सम्मेलन के तहत आने वाली स्वच्छ विकास प्रणाली के अंतर्गत की मंजूरी के तहत होता है और हमें इसके लिये कॉर्बन प्रमाणपत्र मिलता है। इन प्रमाणपत्रों की विकसित देशों में मांग है। जहां हम इसे बेचेंगे और एलईडी बल्ब की लागत वसूल करेंगे। उन्होंने कहा कि हमने उजाला के तहत 70 रुपये की दर से एलईडी बल्ब का वितरण किया है, लेकिन हमने देखा कि 36 करोड़ एलईडी बल्ब में गांवों की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत है। इसका एक कारण उसकी कीमत हो सकती है। गांवों में 70 रुपये भी ज्यादा है। पुडुचेरी, जम्मू कश्मीर और आंध्र प्रदेश ने एलईडी बल्ब पर सब्सिडी देते हुए उसे 10 रुपये की दर पर बेचा था। इन राज्यों में 95 प्रतिशत तक बल्ब गांवों में पहुंचे हैं। इसको देखते हुए हम यह कार्यक्रम बना रहे हैं।

ग्राहकों के बिजली बिल में 25,000 से 30,000 करोड़ रुपये की सालाना बचत होगी। इसके अलावा कॉर्बन उत्सर्जन में 5 करोड़ टन सालाना की कमी आएगी।'' कुमार ने कहा कि इससे जहां लोगों की बिजली बिल के रूप में पैसे की बचत होगी वहीं एक सतत और बेहतर जीवन को बढ़ावा मिलेगा।  

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