अब बिना अनुमति चीन से आयात नहीं कर सकेंगे बिजली उपकरण, केंद्रीय विद्यृत मंत्रालय ने लिया निर्णय
चीन समेत दूसरे पडोसी देशों से आयात होकर आने वाले बिजली उपकरणों की प्रयोगशाल में जांच के बाद ही किया जाएगा इस्तेमाल। आयात करने की जगह अपने देश में बनाने पर दिया जाएगा खास जोर।;
लद्दाख बॉर्डर पर चीन को लेकर चल रही तनातनी के बीच अब देश में चीन और उसके सामान के बॉयकोट की लहर चल पडी है। इसबीच ही बिजली उपकरणों को भी चीन से आयात करने से पहले अब विद्यृत मंत्रालय से अनुमति लेनी पडेगी। यह फैसला का खुद केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने विद्यृत प्रणाली की सुरक्षा को अधिक चाक-चौबंद करने के लिये लिया है। मंत्रालय का यह भी निर्णय है कि आयातित बिजली उपकरणों की साइबर सुरक्षा की दृष्टि से भारत की प्रयोगशालाओं में कड़ाई से जांच होगी। इसके साथ ही बिजली पारेषण और अन्य संबंधित प्रणालियों पर साइबर हमलों के खिलाफ निगरानी और उससे बचाव की रणनीति तैयार करने के लिये केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अंतर्गत एक समिति भी बनायी गयी है।
बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने कहा कि बिजली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण और संवेदनशील क्षेत्र है। बिजली क्षेत्र को अगर नुकसान पहुंचाया जाता है तो देश में विकास का पहिया बिल्कुल ठप हो जाएगा। इसका कारण रक्षा समेत सभी उद्योगों और संचार व्यवस्था तथा डेटा बेस के लिये बिजली चाहिए। आप 12 से 24 घंटे के लिये वैकल्पिक व्यवस्था कर सकते हैं, लेकिन उसके बाद बिजली चाहिए। उन्होंने कहा, इसी को ध्यान में रखते हुए हमने कदम उठाना शुरू कर दिया है। हमने निर्णय किया है कि देश में जो भी बिजली उपकरण बन रहे हैं, उद्योग यहीं से ले। और जिन उपकरणों का यहां विनिर्माण नहीं होता। हम उसके लिये दो-तीन साल में विनिर्माण ढांचा तैयार करेंगे। इस बीच उन उपकरणों के आयात की मंजूरी होगी।
आयात होने वाले उपकरणों की जांच के बाद ही किया जाएगा इस्तेमाल
इतना ही नहीं आगे मंत्री ने कहा कि जो भी उपकरण आयात होकर आएंगे। उनका देश के प्रयोगशालाओं में गहन परीक्षण होगा। ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं उसमें मालवेयर' और ट्रोजन होर्स' का उपयोग तो नहीं हुआ है। उसी के बाद उसके उपयोग की अनुमति होगी। मालवेयर एक ऐसा साफ्टवेयर या प्रोग्राम होता है। जिससे फाइल या संबंधित उपकरणों को नुकसान पहुंच सकता है। वहीं ट्रोजन होर्स मालवेयर साफ्टवेयर है जो देखने में तो उपयुक्त लगेगा, लेकिन यह कंप्यूटर या दूसरे साफ्टवेयर को नुकसान पहुंचा सकता है। इसे इस रूप से तैयार किया जाता है। जिससे डेटा या नेटवर्क को बाधित किया जा सके, आंकड़े गायब किये जा सके या नुकसान पहुंचाया जा सके। देश के बिजली क्षेत्र को पूर्व में मुख्य रूप ये चीन, सिंगापुर और रूस जैसे देशों से साइबर हमले का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि हमने साइबर हमलों की आशंका को देखते हुए केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) की अगुवाई में एक समिति बनायी है। समिति साइबर हमले की खतरे की स्थिति का पता लगाने और उससे निपटने के उपायों का सुझाव देगी। इसके अलावा जिन उपकरणों के आयात की जरूरत है, वो किये जा सकेंगे। लेकिन चीन और पाकिस्तान जैसे देशों से जिनसे भारत को खतरा है या खतरे की आशंका है, आयात को लेकर पहले से मंजूरी लेनी होगी। बल्कि हम यह करेंगे कि 'प्रायर रेफरेंस कंट्री' खासकर चीन और पाकिस्तान जैसे देशों से आयात के बजाए अन्य देशों से आयात हो। 'प्रायर रेफरेंस कंट्री' यानी पूर्व संदर्भ देशों की श्रेणी में उन्हें रखा जाता है।
इनसे भारत को खतरा है या खतरे की आशंका है। मुख्य रूप से इसमें वे देश हैं जिनकी सीमाएं भारतीय सीमा से लगी हुई हैं। इसमें मुख्य रूप से पाकिस्तान और चीन है। उल्लेखनीय है कि ये कदम ऐसे समय उठाये जा रहे हैं, जब हाल में लद्दाख में सीमा विवाद के बीच भारत और चीन की सेना के बीच हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गये। मंत्री ने कहा, यह देखा गया है कि जो उपकरण देश में बन रहे हैं, उसका भी आयात किया जा रहा है। इसका कारण कुछ देश खासकर चीन द्वारा डंपिंग यानी काफी सस्ते दाम पर निर्यात करना है। इसीलिए नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने उपकरणों के आयात पर डंपिंग रोधी शुल्क और रक्षोपाय शुल्क लगाया है। देश में वर्ष 2018-19 में 71,000 करोड़ रुपये का बिजली उपकरणों का आयात हुआ। इसमें बड़ा हिस्सा चीन का है।