महंगाई की मार : अब दवाइयां खरीदने के लिए भी देने होंगे अधिक पैसे, सरकार ने इतने बढ़ाए दाम

एक अप्रैल से आपको दवाई खरीदने पर भी अधिक पैसे देने पड़ेंगे। नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी ने कहा कि सरकार ने दवा निर्माताओं को एनुअल होलसेल प्राइस इंडेक्स (Wholesale Price Index) में 0.5 फीसदी बढ़ोतरी की अनुमति दी है।;

Update: 2021-03-20 06:51 GMT

नई दिल्ली। देश में महंगाई की मार से आम लोगों का पसीना छूटा हुआ है। चाहे पेट्रोल डीजल (Petrol Diesel) की बात हो या फिर रसोई गैस सिलेंडर (LPG Cylinder) की या फिर तेल सब्जी की हर चीज के दामों में ऐसी आग लगी हुई जिससे हर कोई परेशान है। अब आम लागों के लिए एक और बुरी खबर है। एक अप्रैल (1 April) से आपको दवाई खरीदने पर भी अधिक पैसे देने पड़ेंगे। नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (National Pharmaceutical pricing authority) ने कहा कि सरकार ने दवा निर्माताओं को एनुअल होलसेल प्राइस इंडेक्स (Wholesale Price Index) में 0.5 फीसदी बढ़ोतरी की अनुमति दी है। दर्द निवारक दवाइयां, एंटीइंफ्लाटिव, कार्डियक और एंटीबायोटिक्स सहित आवश्यक दवाओं की कीमतें अप्रैल से बढ़ सकती हैं।

20 फीसदी बढ़ सकती है कीमतें

सरकार ने दवा निर्माताओं को एनुअल होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) के आधार पर कीमतों में बदलाव की अनुमति दी है। ड्रग प्राइस रेगुलेटर, नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी ने कहा कि सरकार की तरफ से 2020 के लिए डब्ल्यूपीआई में 0.5 फीसदी का एनुअल चेंज नॉटिफाई हुआ है। वहीं फार्मा इंडस्ट्री का कहना है कि मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट में 15-20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसलिए कंपनिया कीमतों में 20 फीसदी बढ़ोतरी की योजना बना रही है।

बता दें कि दवा नियामक की ओर से WPI के अनुरूप अनुसूचित दवाओं की कीमतों में हर साल वृद्धि की अनुमति दी जाती है। कार्डियो वैस्कुलर, डायबिटीज, एंटीबायोटिक्स, एंटी-इंफ़ेक्टिव और विटामिन के मैन्यूफैक्चर के लिए अधिकांश फार्मा इन्ग्रीडीएंट चीन से आयात किए जाते हैं, जबकि कुछ एक्टिव फार्मास्युटिकल इन्ग्रीडीएंट (एपीआई) के लिए चीन पर निर्भरता लगभग 80-90 फीसदी है।

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