ATM से पैसे निकालने से पहले पढ़ लें ये खबर, महीने में तय मुफ्त सीमा से अधिक बार पैसे निकाले तो लगेगा अधिक शुल्क

अब महीने में तय मुफ्त सीमा से अधिक बार पैसे निकालने पर अधिक शुल्क लगाया जाएगा। RBI ने बैंकों को अगले साल से ATM के जरिये निर्धारित मुफ्त मासिक सीमा से अधिक बार नकदी निकालने या अन्य लेन-देन करने को लेकर शुल्क बढ़ाने की अनुमति दे दी है।;

Update: 2021-06-11 07:53 GMT

मुंबई। जल्द ही एटीएम से पैसे निकालने के नियमों बदलाव होने जा रहे हैं। इसे लेकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve bank Of India) ने बैंकों के लिए आदेश जारी किए हैं। जिसके तहत अब महीने में तय मुफ्त सीमा से अधिक बार पैसे निकालने पर अधिक शुल्क लगाया जाएगा। RBI ने बैंकों को अगले साल से ATM के जरिये निर्धारित मुफ्त मासिक सीमा से अधिक बार नकदी निकालने या अन्य लेन-देन करने को लेकर शुल्क बढ़ाने की अनुमति दे दी है। इसके तहत बैंक ग्राहक एक जनवरी, 2021 से अगर मुफ्त निकासी या अन्य सुविधाओं की स्वीकार्य सीमा से ज्यादा बार लेन-देन करते हैं, तो उन्हें प्रति लेन-देन 21 रुपये देने होंगे जो अभी 20 रुपये है।

RBI ने एक परिपत्र में कहा कि बैंकों को दूसरे बैंकों के एटीएम में कार्ड के उपयोग के एवज में लगने वाले शुल्क (Interchange Fee) की क्षतिपूर्ति और अन्य लागत में बढ़ोतरी को देखते हुए उन्हें प्रति लेने-देन ग्राहक शुल्क बढ़ाकर 21 रुपये करने की अनुमति दी गयी है। बढ़ा हुआ शुल्क एक जनवरी, 2022 से प्रभाव में आएगा। हालांकि ग्राहक पहले की तरह अपने बैंक के एटीएम से हर महीने पांच मुफ्त लेन-देन (Financial and non-financial transactions) के लिये पात्र होंगे। वे महानगर में अन्य बैंकों के एटीएम से तीन बार और छोटे शहरों में पांच बार मुफ्त लेन-देन कर सकेंगे।

परिपत्र के अनुसार, साथ ही एक अगस्त, 2021 से प्रति वित्तीय लेन-देन 'इंटरचेंज शुल्क' 15 रुपये से बढ़ाकर 17 रुपये तथा गैर-वित्तीय लेन-देन के मामले में 5 रुपये से बढ़ाकर 6 रुपये करने की अनुमति दी गयी है। बैंक अपने ग्राहकों की सुविधा के लिये एटीएम लगाते हैं। साथ ही दूसरे बैंकों के ग्राहकों को भी इसके जरिये सेवाएं दी जाती हैं। निर्धारित सीमा से अधिक उपयोग के एवज में वे शुल्क लेते हैं जिसे इंटरचेंज फी कहते हैं। RBI ने कहा कि एटीएम लगाने की बढ़ती लागत और एटीएम परिचालकों के रखरखाव के खर्च में वृद्धि को देखते हुए शुल्क बढ़ाने की अनुमति दी गयी है। इसमें संबंधित इकाइयों और ग्राहकों की सुविधाओं के बीच संतुलन की जरूरत को ध्यान रखा गया है।

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