Budget 2020: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा मुद्रास्फीति नियंत्रण में और बैंकों की स्थिति सुधरी
Budget 2020: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 2020-2021 को लेकर आज आम बजट पेश कर दिया है। सीतारमण ने मुद्रास्फीति पर कहा कि हमारा मकसद लोगों की आय और खरीद क्षमता बढ़ाना है।;
Budget 2020: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 2020-2021 को लेकर आज आम बजट पेश कर दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है। मुद्रास्फीति नियंत्रण में है और बैंकों का बही खाता साफ सुथरा हुआ है।वित्त मंत्री आज बजट पेश करते हुए कहा कि हमारा मकसद लोगों की आय और खरीद क्षमता बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि 2014-19 के दौरान सरकार ने कामकाज के संचालन में बड़ा बदलाव किया है। उन्होंने माल एवं सेवा कर को ऐतिहासिक संरचनात्मक सुधार करार देते हुए कहा कि इससे देश आर्थिक रूप में एकीकृत हुआ है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि साल 2009-14 के दौरान मुद्रास्फीति 10.5% के दायरे में थी। अब हम विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं।
पिछले पांच वर्ष से लगातार गिर रही थी मुद्रास्फीति
2019 की रिपोर्ट पर जाए तो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में पिछले पांच वर्ष से लगातार गिरावट देखी जा रही थी। 2018-19 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया था कि 2018-19 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 3.4 प्रतिशत पर आ गई है। सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति की दर वित्त वर्ष 2017-18 में 3.6 प्रतिशत, 2016-17 में 4.5 प्रतिशत, 2015-16 में 4.9 प्रतिशत और 2014-15 में 5.9 प्रतिशत के स्तर पर थी। समीक्षा में बताया गया था कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल 2018 में 4.6 प्रतिशत थी, जो अप्रैल, 2019 में 2.9 प्रतिशत पर आ गई है। आर्थिक समीक्षा के अनुसार, उपभोक्ताक खाद्य मूल्यब सूचकांक (सीएफपीआई) पर आधारित खाद्य महंगाई दर वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान घटकर 0.1 प्रतिशत के निम्न) स्तार पर आ गई। आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि थोक मूल्यौ सूचकांक (डब्यूे न पीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति दर 2018-19 में 4.3 प्रतिशत रही है। वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी छमाही के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति में भारी कमी मुख्य त: सब्जियों, फलों, दालों एवं उत्पातदों, चीनी और अंडे की कीमतों में भारी गिरावट के कारण ही संभव हो पाई है।
क्या हैं मुद्रास्फीति
मुद्रास्फीति का अर्थ यह होता है कि जब किसी अर्थव्यवस्था में सामान्य कीमत स्तर लगातार बढ़े और मुद्रा का मूल्य कम हो जाए। यह गणितीय आकलन पर आधारित एक अर्थशास्त्रीय अवधारणा है जिससे बाजार में मुद्रा का प्रसार व वस्तुओ की कीमतों में वृद्धि या कमी की गणना की जाती है।