स्मार्टफोन इस्तेमाल करना पड़ सकता है महंगा, हो सकती हैं गंभीर बीमारियां

Smartphone Disease / स्मार्टफोन का इस्तेमाल आज के जमाने बहुत बढ़ गया है। इस छोटे से डिवाइस पर लोग अपने लगभग हर एक काम का पूरा कर सकते हैं। साथ ही यह फोन दूर बैठे लोगों को आपस में जोड़ता है। लेकिन ज्यादा फोन को इस्तेमाल करने से गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं।;

Update: 2019-08-26 08:11 GMT

तकनीक के दौर में लोग लैपटॉप, कंप्यूटर और स्मार्टफोन (Smartphones) आदि गैजेट्स का उपयोग सबसे ज्यादा करते हैं। वहीं, खास टेक्नोलॉजी (Technology) से स्मार्टफोन्स ने लोगों की जिन्दगी में अपनी अहम जगह बना ली हैं। लोग इस डिवाइस को प्रतिदिन 7 से लेकर 8 घंटे तक इस्तेमाल करते हैं। वहीं, स्मार्टफोन निर्माता कंपनियां भी लोगों की मांग को ध्यान में रखकर शानदार फोन्स की पेश कर रही हैं। अब इनके दाम इतने सस्ते हो गए हैं कि अब यह गैजेट्स हर एक आदमी के हाथ में देखाई देने लगे हैं।

स्मार्टफोन की खूबियों की बात करें तो इन डिवाइस ने यूजर्स को बहुत लाभ पहुंचाया है। साथ ही यूजर्स अपने सारे काम इन गैजेट्स पर चंद मिनटों में कर लेते हैं। इतना ही नहीं इन स्मार्टफोन पर लैपटॉप और कंप्यूटर के काम किए जा सकते हैं। वहीं, स्मार्टफोन के अपने फायदे हैं और नुकसान भी हैं। स्मार्टफोन के इस्तेमाल से यूजर्स कई गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकते हैं, जिसमें हार्ट, मेंटल, स्कीन और नींद की बीमारी शामिल हैं। आज हम आपको स्मार्टफोन से जुड़ी कुछ ऐसी गंभीर बीमारियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसको जानकर आप हैरान हो जाएंगे। तो चलिए जानते हैं स्मार्टफोन से जुड़ी गंभीर बीमारियों (Smartphone Disease) के बारे में......

ये हैं स्मार्टफोन से जुड़ी गंभीर बीमारी

1. हृदय से जुड़ी बीमारी (Heart Problems)



 स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल करने से आपको भी हृदय की बीमारी हो सकती है। क्योंकि ये गैजेट्स लगातार रेडिएशन छोड़ते हैं, जिसकी वजह से हार्ट अटैक हो सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, कॉर्डलैस फोन सबसे ज्यादा रेडिएशन रीलीज करते हैं। यही वजह है कि ह्रदय ठीक तरीके से काम नहीं करता है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ये रेडिएशन रेड ब्लड सैल को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे हीमोग्लोबिन हार्ट में दिक्कत पैदा करता है।

2. सुनने में परेशानी (Hearing Impairment)

स्मार्टफोन के ज्यादा इस्तेमाल करने से कम सुनने की बीमारी होती है। आज के समय में हर एक दूसरा व्यक्ति इयरफोन का उपयोग करता है। यही वजह है कि लोगों में कम सुनने की बीमारी ज्यादा देखने को मिल रही है। इसको लेकर एक रिपोर्ट जारी हुई हैं, जिसमें कई बड़े खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि लंबे समय तक फोन से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड यूजर को पूरी तरह से बहरा बना सकती है।



 वहीं, दूसरी रिपोर्ट में यह जानकारी मिली है कि जो लोग दिन दो घंटे से ज्यादा फोन पर बात करते हैं, वह इस बीमारी के शिकार हो सकते हैं। अगर आप भी एक घंटे से ज्यादा फोन का इस्तेमाल करते हैं, तो तुरंत बंद कर दें। नहीं तो आप भी बहरे हो सकते हैं।

3. त्वाचा से जुड़ी बीमारी (Skin Allergies)

स्मार्टफोन निर्माता कंपनियां अपने फोन को आकर्षक बनाने के लिए विशेष धातु का इस्तेमाल करते हैं। इस धातु में निकल, क्रोमियम और कोबाल्ट का मिश्रण होता है। ये कैमिकल इंसान की त्वाचा को बहुत नुकसान पहुंचा सकते हैं। 72 मोबाइल्स पर टेस्ट किया गया है, जिसमें कोबाल्ट और निकल कैमिकल की मौजूदगी की जानकारी मिली थी।



 वही दूसरी तरफ रिपोर्ट से जानकारी मिली है कि ब्लैकबेरी के फोन्स में 90.5 प्रतिशत निकल पदार्थ पाया गया है। यही कारण है कि फोन से यूजर्स को स्कीन की बीमारी हो जाती है। ऐसे में आप फोन के इस्तेमाल को थोड़ा कम कर बीमारी को दूर रख सकते है।

4. अनिद्रा की परेशानी (Sleep Disorders)



 अत्याधिक स्मार्टफोन का इस्तेमाल आपके लिए हानिकारक साबित हो सकता है। इससे आपको अनिद्रा की समस्या से गुजरना पड़ सकता है। रात में अधिक स्मार्टफोन का उपयोग करने से आपकी नीद प्रक्रिया पर बुरा असर पड़ सकता है। साथ ही आपकी नींद भी गायब हो सकती है। अगर आप भी इस विपदा से जूंझ रहे हैं, तो आप कम स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर इससे बच सकते हैं।

5. कैंसर (Cancer)

स्मार्टफोन को लेकर वैसे तो कई सारी रिपोर्ट जारी की गई हैं। इन रिपोर्ट से जानकारी मिली है कि स्मार्टफोन के उपयोग से यूजर्स को गंभीर बीमारी हो सकती है। इसके अलावा एक और रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि फोन से निकलने वाली रेडिएशन से भी कैंसर हो सकता है। ये रेडिएशन एक्स रे और अलट्रावॉयलेट रेडिएशन से ज्यादा ताकतवर है।



मोबाइल से निकलने वाली बीमारी को लेकर वैज्ञानिक दो समूह में बंटे हुए हैं। एक का मानना है कि फोन से निकलने वाली रेडिएशन दिमाग और गले में कैंसर का ट्यूमर पैदा कर सकती हैं। तो वही दूसरी तरफ दूसरे समूह का मानना है कि इन रेडिएशन में इतनी ताकत नहीं है कि यह इंसान के डीएनए में बड़ा बदलाव करें। 

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